अल्पसंख्यक युवक की हत्या में एसओ नवाबगंज पर सजातीयों को संरक्षण देने का आरोप

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फर्रूखाबाद: सूबे के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जहां एक ओर जिले की प्रशासनिक एवं पुलिस आला अधिकारियों को जिले में कानून व्यवस्था बनाये रखने एवं अपराधियों के विरूद्ध कार्यवाही कर उन्हें सलाखों के पीछे डालने के निर्देश करते हैं। लेकिन जिले में स्थित थाना नबाबगंज के थानाध्यक्ष तो इस समय स्वयं ही कानून हैं और स्वंय कोर्ट भी हैं। जिसके चलते थानाध्यक्ष नें क्षेत्र में हुई युवक की हत्या के मामले में उच्चन्यायालय के आदेश को भी ठेंगा दिखा दिया और अपराधियों से भारी रकम लेकर उन्हें पकडऩे के बजाय पूरी तरह संरक्षण दिये हुये हैं। थानाध्यक्ष की इस तानाशाह कार्यशैली को लेकर मृतक युवक के परिवारीजनों के साथ करीब एक सैकड़ा लोगों ने जिला मुख्यालय पर आमरण अनशन शुरू कर दिया जब यह बात जिला प्रशासन को पता लगी तो जिलाधिकारी नें कार्यवाही का आश्वासन देते हुये अनशन खत्म कराते हुये अनशनकारियों को कार्यवाही हेतु पुलिस अधीक्षक के पास भेज दिया।
1जिले के थाना नबाबगंज क्षेत्र के कस्वा निवासी कमर अली के पुत्र सलमान एवं ग्रामीणों ने हत्या के मामलें में जानकारी देते हुये कहा है कि गत 28, 29 मई रात्रि को अलीगंज रोड नबाबगंज में गौतम सिंह यादव पुत्र जहानसिंह यादव की पुत्री साधना की बारात पड़ोसी जनपद एटा के थाना जैथरा के अन्तर्गत डण्डी नगला से आई थी। निमंत्रण होने के कारण सलमान एवं उसके अन्य परिजन भी बारात में गये हुये थे बारात चढऩे के बाद सलमान का भाई अफसर अली खाना खाने गया था जब देर रात्रि तक बह घर नहीं लौटा तो उसकी तलाश की गयी लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला। 29 मई की सुवह करीब 06:00 बजे कस्वा के रामभजन के खाली खेत में भाई अफसर का शव पड़ा मिला जिस पर थाना नबाबगंज क्षेत्र में अज्ञात व्यक्तियों के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई गयी।
एफआईआर दर्ज होने के करीबन तीन माह बाद भी थानाध्यक्ष प्रदीप यादव नें जोकि शासन स्तर पर अच्छी खासी पकड़ रखते हैं और उसी के चलते हत्या मामले में अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की है और न ही अपराधियों का पता लगाने का प्रयास। मृतक के शरीर पर काफी गंभीर चोटें भी पाईं गयीं थीं। हत्या के मामले में हत्यारों की जानकारी होने के बाद भी सजातीय होने के कारण अभियुक्तों को वचाने के उद्देश्य से थानाध्यक्ष उनके विरूद्ध कोई कार्यवाही करने का प्रयास ही नहीं कर रहे हैं। इधर जब हत्या के मामले में सलमान के पिता ताज मोहम्मद, आकिल, अली हसन एवं अन्य कई लोगों ने जानकारी होने पर थाने जाकर थानाध्यक्ष को जानकारी दी कि अफसर अली की हत्या बारात बाले दिन ही गौतम सिंह यादव उनके पुत्र सतेन्द्र यादव व उनके रिश्तेदारों ने की है। मामले से वचने के लिये अभियुक्तों ने माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की जिसमें माननीय उच्च न्यायालय नें याचिका सं0 13399/13 में दिनांक 05 जुलाई को आदेश दिया है कि अभियुक्तों के खिलाफ प्रथम दृष्टया अपराध सावित होता है और सभी अभियुक्तगण सम्बन्धित न्यायालय में आत्मसर्मण कर जमानत अर्जी दाखिल करें।
न्यायालय के आदेश के बाबजूद भी थानाध्यक्ष नबाबगंज प्रदीप यादव अभियुक्त गौतम सिंह यादव, प्रदीप यादव, सत्यवीर यादव एवं रामलड़ैते यादव को अभियुक्त मानने को राजी नहीं है और उन्हें गिरफ्तार कर कार्यवाही करने के बजाय उन्हें अपना संरक्षण दिये हुये हैं। फरियादी सलमान एवं ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को सम्बोधित एक शिकायतीपत्र में कहा है कि थानाध्यक्ष भाई के हत्यारों को जानवूझकर गिरफ्तार नहीं कर रहे हैं और उसे व उसके परिवार को अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है मजवूरन वह अपने परिवार सहित आमरण अनशन पर बैठने को मजबूर है। शुक्रवार को पीडि़त सलमान, अनवर अली, कमर अली, अली हसन, अली दराज, लालू खां, छोटे खां, जावेद अली, तरू खां, सोनेलाल राठौर, गब्बर सिंह, राजू खां, अली शेर, मोनू दिवाकर, बाहिद शाह, विश्राम सिंह, जंटू सिंह दिवाकर, नन्हें लला, सुभान अली, अली मो0 आफताव अली आदि लोगों के साथ मुख्यालय पहुंचकर आमरण अनशन शुरू किया अभी बह एक घण्टे बामुश्किल बैठ पाया था कि इस मामले की भनक जिला प्रशासन को लगी और पुलिस प्रशासन भी हरकत में आया अनशनकारियों से मिलने क्षेत्राधिकारी मोहम्मदाबाद भी पहुंचे इधर जिलाधिकारी पवन कुमार ने उक्त मामले की हकीकत जानने के बाद कार्यवाही का आश्वासन दिया जिस पर ग्रामीणों ने अनशन समाप्त किया बाद में जिलाधिकारी नें उक्त मामले की जांच कराकर दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही करने के लिये पुलिस अधीक्षक जोगेन्द्र कुमार के पास भेज दिया।