बार बालाओं का दर्द- 8 साल बाद हम उतने सुंदर नहीं रहे, अब हमारा डांस कौन देखेगा?

Uncategorized

bar girlsनई दिल्ली. महाराष्ट्र में डांस बार एक बार फिर गुलजार होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस बारे में फैसला सुनाते हुए महाराष्ट्र में डांस बार पर लगी रोक हटाने का आदेश दिया है। इस फैसले के बाद महाराष्ट्र में डांस बार चलाने के लिए नए सिरे से लाइसेंस लेना होगा।

वर्ष 2005 में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री आर. आर. पाटिल ने राज्य के सभी डांस बारों पर पाबंदी लगा दी थी। पाटिल का कहना था कि डांस बार से समाज में अनैतिकता बढ़ती है और कानून व्यवस्था खराब होने का खतरा बना रहता है। इससे समाज पर भी बुरा असर पड़ता है।

असर

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुंबई के सैकड़ों डांस बार फिर से गुलजार हो जाएंगे। बार डांसर्स एसोसिएशन की नेता वर्षा काले ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राहत की सांस ली और कहा, ‘हमारा लंबा संघर्ष अब जाकर खत्म हुआ।’ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद से कुछ डांस बार मालिक अपने बार खोलना चाहते हैं। बार ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एमएस सेठी ने कहा, ‘मुंबई पुलिस ने हमारे सभी डांस बार के लाइसेंस रद्द कर दिए थे। लेकिन अब चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया है, इसलिए मैं ऐसा कोई कारण नहीं देखता हूं कि हम लोग डांस बार तुरंत क्यों न चालू कर दें।’ सुप्रीम कोर्ट के फैसले से डांस बार में काम कर रही तमाम लड़कियों के चेहरे पर चमक आ गई है, जो इसे जिंदगी जीने का आसान और एकमात्र तरीका मानती हैं। 2005 में बार बंद होने पर सरकार ने हमसे वादा किया था कि हमें सरकारी नौकरी मिलेगी, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हम एक सम्मानजनक जिंदगी जी सकेंगे।
[bannergarden id=”8″][bannergarden id=”11″]
जिस्मफरोशी पर मजबूर न होंगी बार बालाएं

डांस बार पर रोक को हटाने के मंगलवार को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से कई बार बालाओं ने राहत की सांस ली है। एक बार बाला ने अपनी पहचान सार्वजनिक न करने की शर्त पर एक खबरिया चैनल से कहा, ‘डांस बार खुलने से अब बार बालाओं का शारीरिक शोषण नहीं होगा। अब हमारे पास डांस के जरिए अपना हुनर दिखाकर अच्छा पैसा कमाने का बेहतरीन विकल्प मिल गया है। डांस बार बंद होने और कोई अन्य काम न आने की वजह से बार बालाओं को जिस्मफरोशी के दलदल में धंसना पड़ रहा था।’ बार बाला ने कहा, ‘ज्यादातर बार बालाओं को अपने परिवार चलाने के लिए ऐसे काम करने पड़े जो वे नहीं करना चाहती थीं।’ गौरतलब है कि डांस बार बंद होने के बाद बार बालाओं के यौन शोषण के कई मामले सामने आ चुके हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इस सिलसिले में कमी आने की उम्मीद बढ़ गई है।
कारोबार
मुंबई में ‘नाइट लाइफ’ की जान माने जाने वाले डांस बार अपने आप में एक बड़ा उद्योग है। मुंबई में डांस बार चलाने वाले लोगों का दावा है कि उनके यहां से करीब 1,500 करोड़ रुपये का सालाना राजस्व सरकार के खजाने में जाता है। आर.आर. पाटिल ने डांस बार पर बैन लगाते समय यह तर्क भी दिया था कि लोग जो पैसे डांस बार में खर्च करते हैं, वही पैसा वह अपने परिवार पर खर्च करें तो समाज का भला होगा। मगर डांस ओनर्स एसोसिएशन से जुड़े लोगों का कहना है कि जो लोग बहुत ज्यादा पैसे खर्च कर ‘थ्री स्टार’ या उससे ऊपर के होटलों में ‘नाइट लाइफ’ का मजा नहीं ले पाते, वे उनके बार में 500 से एक हजार रुपये में गीत-संगीत और डांस का आनंद लेते हैं।

हालात

मुंबई के डांस बार में काम करने वाली ज्यादातर लड़कियां मजबूर होती हैं और कमजोर आर्थिक-सामाजिक पृष्ठभूमि से आती हैं। महाराष्ट्र सरकार द्वारा 2005 में डांस बार पर रोक लगाए जाने के बाद डांस बार में डांस करने वाली ज्यादातर लड़कियों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया था। एक खबरिया टीवी चैनल पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सामने आईं बार गर्ल्स ने कहा, ‘डांस बार जब चलता था, तब हम अपनी मर्जी से रोजी रोटी कमाते थे। हम पर कोई जोर जबर्दस्ती नहीं थी। तब हमारे बच्चे स्कूल जाते थे और हमारा खुद का घर था। हम परिवार का पूरा खर्च चलाते थे। लेकिन जब बार बंद हुआ तो यह सब छिन गया। अब हमारे बच्चे स्कूल नहीं जाते और हमारे पास खुद का घर भी नहीं रहा।’ एक डांस बार बाला ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एक तरह से नाखुशी जताते हुए कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुशी तो है। लेकिन 8 साल पहले हमारी जो स्थिति थी, अब वह नहीं रही। अब हम उतने सुंदर भी नहीं रहे। अब हमारा डांस कौन देखेगा? अपनी रोजी रोटी कमाने के लिए मैं अब कौन सा काम करूं? 8 सालों में सब कुछ बदल गया। इतने समय में तो इतने पैसे कमाए जा सकते थे कि बाकी की जिंदगी आसानी से कट सके। लेकिन हमारा सबसे अच्छा वक्त बीत चुका है।’

दूसरे राज्यों में जाकर करना पड़ता था काम, अब लौटेंगी ‘घर’

महाराष्ट्र में डांस बार बंद होने के बाद पेट पालने की मजबूरी में कई बार बालाओं को महाराष्ट्र से बाहर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में जाकर डांस पार्टियों और निजी कार्यक्रमों में डांस करना पड़ता रहा है। महाराष्ट्र खासकर मुंबई की कई बार बालाएं इनदिनों हिंदी पट्टी के राज्यों में डांस कर पेट पालने को मजबूर हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ऐसी बार बालाओं का घर लौटने का रास्ता साफ हो गया है। वे मुंबई में डांस कर अपनी रोजी रोटी कमा सकती हैं।

राजनीति भी होगी तेज

डांस बार फिर से खुलने पर राजनीति और नैतिकता-अनैतिकता की बहस भी तेज होने के आसार हैं। इसमें शिवसेना, बीजेपी, कांग्रेस, एनसीपी और एमएनएस के बीच सियासी दांवपेच बढ़ने के आसार हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी की महाराष्ट्र ईकाई के प्रवक्ता माधव भंडारी ने कहा, ‘डांस बार बंद होने पर पाटिल ने सोचा था कि वह कुछ महान काम कर रहे हैं। लेकिन उनका कदम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गलत साबित हुआ है। वह सिर्फ ड्रामा था।’ हालांकि, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र फड़नवीस ने डांस बारों को नैतिकता के प्रश्न से जोड़ते हुए कहा, ‘हमारी पार्टी डांस बार की संस्कृति के खिलाफ है और उन्हें नहीं चलना चाहिए। मैं सरकार से मांग करता हूं कि इस मामले में रिव्यू पिटिशन दायर की जाए।’ गौरतलब है कि खुद को मराठा संस्कृति की सबसे बड़ी रक्षक बताने वाली शिवसेना और एमएनएस जैसी पार्टियों के लिए भी डांस बार पर खुलकर कोई ‘स्टैंड’ लेना आसान नहीं होगा।