देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दागी सांसदों और विधायकों को जोर का झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने एक फैसले में कहा कि अगर किसी जनप्रतिनिधि को दो साल तक की सजा दी जाती है तो उसकी सदस्यता तुरंत निलंबित हो जाएगी।
कोर्ट ने कहा कि इन परिस्थितियों में देश की शीर्ष अदालत से बरी होने पर ही उसकी सदस्यता बहाल होगी। अदालत ने आज इससे संबंधित जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (4) को भी खत्म कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आज से ही लागू हो जाएगा।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि यह आदेश उन दागी जनप्रतिनिधियों पर लागू नहीं होगा, जिन्हें सजा हो चुकी है और उन्होंने उसके खिलाफ उच्च कोर्ट में अपनी याचिका दायर की हुई है।
जनप्रतिनिधित्व कानून भी यह कहता है कि किसी भी दागी जनप्रतिनिधि को अगर किसी आपराधिक मामले में सजा सुनाई जा चुकी है और उसने उस सजा के खिलाफ उच्च कोर्ट में याचिका दायर की है तो वह अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला लिली थॉमस और एक एनजीओ प्रहरी की जनहित याचिका पर दिया है।