जनरेटर चलाने के लिये रुपये मांगने पर विस्‍फोट में घायल मरीजों के परिजनों ने लगाया जाम

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फर्रुखाबाद: लोहिया अस्‍पताल में पंखों के बिना तड़पते विस्‍फोट में घायल मरीजों के परिजनों का गुस्‍सा उस समय फूट पड़ा जब पंखे चलाने की मांग करने पर सीएमएस डा. एके मिश्रा ने परिजनों से डीजल के लिये रुपयों की मांग कर दी। गुस्‍साये परिजनों ने आवास विकास तिराहे पर जाम लगा दिया। जाम के दौरान फंसे राहगीरों द्वारा जाम तोड़कर निकलने का प्रयास करने पर पत्‍थरबाजी भी हुई।
विदित है कि शुक्रवार को पड़ोसी जनपद शाहजहांपुर के कस्‍बा अल्‍लाहगंज में हुए भयानक विस्‍फोट में दो लोगों की मृत्‍यु हो गयी थी व आधा दर्जन लोग गंभीर रूप से घायल हो गये थे। घायलों को लोहिया अस्‍पताल के आपातकालीन कक्ष में भर्ती कराया गया है। भयंकर उमस व गर्मी के मौसम में विस्‍फोट में जले मरीज बुरी तरह तडपते देख परिजनों ने लोहिया अस्‍पताल के मुख्‍य चिकित्‍साधीक्षक डा. एके मिश्रा के आवास पर पहुंच कर उनसे वार्ड में पंखे बंद होने की शिकायत करते हुए पंखे चालू कराने की मांग की।

[bannergarden id=”11″]Blas3परिजनों की शिकायत सुन कर डा. मिश्रा बुरी तहर उखड़ गये। बोले कि जनरेटर के डीजल के लिये बजट नहीं है, तो बिजली के बिना पंखे कैसे चल सकते हैं। जनरेटर चलवाना है तो पैसे दो डीजल के लिये, पंखे चल जायेंगे। सीएमएस का जवाब सुनकर परिजन बुरी तरह आक्रोषित हो गये। आक्रोषित परिजनों ने आवास विकास तिराहे पर जाम लगा दिया, व महिलायें सड़क पर बैठ कर विलाप करने Blast5लगीं। इस दौरान जाम में फंसे राहगीरों ने अवरोध फांदकर निकलने का प्रयास किया तो विवाद होने पर पत्‍थरबाजी भी हो गयी। बाद में कोतवाली प्रभारी निरीक्षक रूम सिंह यादव ने मौके पर पहुंच कर जाम लगाये लोगों को समझाया-बुझाया व उनको अपने साथ लेकर लोहिया अस्‍पताल पहुंचे। संभवत: रूम सिंह यादव ने पहले ही असपताल प्रशासन को समस्‍या की जानकारी दे दी थी। इसी के चलते परिजनों के अस्‍पताल पहुंचने पर उनको पंखे चलते मिले। बाद में लोहिया अस्पताल पहुंचकर सिटी मजिस्‍ट्रेट प्रभुनाथ व मुख्‍य चिकित्‍साधिकारी डा. राकेश कुमार ने घायलों के परिजनों व सीएमएस से वार्ता की। बाद में सीएमएस ने घायलों की स्‍थिति को गंभीर देखते हुए उन्‍हें सैफई अस्‍पताल के लिये रेफर कर दिया।

[bannergarden id=”8″]Blast4सीएमएस डा. एके मिश्रा ने बताया कि जनरेटर के डीजल के लिये बजट नहीं है। साढे बासठ (62.5) केवीए का जनरेटर है, जोकि एक घंटे में डेढ़ हजार रुपये का डीजल लेता है। लगभग औसतन दस घंटे विद्युत कटौती रहती है। इस परिस्‍थिति में हर समय जनरेटर चलाना संभव नहीं है। मरीजों के परिजनों द्वारा डीजल के लिये पैसे मांगने का आरोप गलत है।