एटा: वो आए तो थे बैंड-बाजों के साथ दुल्हनिया लेने। दूल्हा-दुल्हन ने खुशी-खुशी निकाह भी कुबूल कर लिया पर दुल्हन, दूल्हे की नहीं हो पाई। बारातियों द्वारा की गई मारपीट से गुस्साए परिजनों ने बेटी की रुखसती से इन्कार कर दिया है। अब बारात लड़की के दरवाजे पर धरना दे रही है। तीन दिन बाद भी मसला हल नहीं हो सका है।
बुलंदशहर के चांदपुर थाने के गांव होरमाबाद निवासी सत्तार के पुत्र सद्दाम की बारात 20 जून को एटा आई थी। किदवई नगर निवासी रूबीना पुत्री शमसाद (दोनों नाम परिवर्तित) से निकाह 20 जून को होना था। दोपहर को बारात पहुंची और नाश्ता आदि के बाद निकाह पढ़ा गया। इसके बाद दावत शुरू हुई तो किसी बात को लेकर शुरू हुई कहासुनी मारपीट में बदल गई। इससे दुल्हन पक्ष के लोग बिफर गए। पुलिस भी पहुंची, लेकिन आपसी मामला बताकर कार्रवाई से इन्कार कर दिया
अगले दिन 21 जून को दोनों पक्षों की पंचायत बुलाई गई। दूल्हे पक्ष ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए लड़की को विदा करने का अनुरोध किया। पर दुल्हन पक्ष ने विदाई से इन्कार कर दिया।
तीन दिन बाद भी दुल्हन की विदाई को लेकर सहमति नहीं बन सकी है। महिलाओं सहित लगभग दो दर्जन बाराती दुल्हन के घर के बाहर ठहरे हुए हैं। उन्होंने बताया कि लड़की के ही दरवाजे पर हम लोग भूखे-प्यासे बैठे हैं, लेकिन कोई बाहर निकलकर बात करने तक को तैयार नहीं है।
उधर, दुल्हन के पिता का कहना है कि जो लोग विदाई से पहले ही मारपीट पर आमादा हो गए, वो बाद में क्या नहीं कर सकते। ऐसे घर में अपनी बेटी विदा नहीं करनी है।
निरीक्षक कोतवाली नगर चंद्रशेखर सिंह रघुवंशी ने बताया कि मामला संज्ञान में है। पर लिखित शिकायत न होने के कारण कार्रवाई नहीं की गई है।
गलत है दुल्हन पक्ष का रवैया
बीवी की विदाई न होने से सद्दाम काफी दुखी है। उसका कहना है कि गलती मानकर माफी भी मांग ली, फिर ऐसा बर्ताव क्यों किया जा रहा है। रुंधे गले से उसने कहा कि लड़की के पिता लेखपाल हैं और उनकी शहर में काफी जानकारी है, हम लोग यहां अनजान हैं।
अगले दिन हुई दो बहनों की शादी
सद्दाम से निकाह के एक दिन बाद 22 जून को रूबीना की दो बहनों का निकाह हुआ। पिता ने कहा कि वे दोनों सभ्य परिवार थे और समारोह में कोई झंझट नहीं हुआ।