यूपी में अमित शाह के कार्यक्रमों पर सीबीआइ की सर्विलांस

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Amitshahलखनऊ : सीबीआइ को उत्तर प्रदेश में गुजरात के एडीजी, 1980 बैच के आइपीएस अधिकारी पीपी पाण्डेय की लोकेशन नहीं मिल रही है। इशरत जहां मुठभेड़ में वांछित पाण्डेय यूपी के निवासी हैं। सूत्रों के मुताबिक सीबीआइ को सूचना मिली थी कि पाण्डेय यूपी में दौरा कर रहे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अमित शाह से मिल सकते हैं, लिहाजा शाह के कार्यक्रमों पर सीबीआइ की निगाह लगी रही, लेकिन वह दूर-दूर तक नजर नहीं आये।

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उत्तर प्रदेश में प्रभारी अमित शाह के दौरे की शुरूआत के साथ ही दिल्ली से सीबीआइ की एक टीम यहां आयी। सूत्रों के मुताबिक टीम के सदस्य शाह के कार्यक्रमों में गये और खासतौर से बड़े नेताओं के आवास पर शाह की व्यक्तिगत मुलाकातों पर गौर किया। पाण्डेय का नाम शाह के करीबी अफसरों में है। इशरत जहां मुठभेड़ के समय शाह गुजरात के गृह राज्य मंत्री थे। सीबीआइ को शक रहा है कि सर्विलांस के चलते मोबाइल और फोन से बातचीत करने से परहेज कर रहे पाण्डेय को शाह से मिलने और अपनी परेशानी बताने का मौका यूपी दौरे में मिल सकता है, इसलिए उन पर विशेष नजर रही। सीबीआइ के प्रवक्ता से इस संदर्भ में जब पूछा गया तो उनका कहना था कि हम अपने अभियान के बारे में कोई बात शेयर नहीं करते हैं।

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उल्लेखनीय है कि मई महीने से ही सीबीआइ टीम पाण्डेय की तलाश में सक्रिय है। सीबीआइ पहले भी पाण्डेय के अपने पैतृक ठिकाने या रिश्तेदारों के यहां पनाह लेने के अंदेशे में उत्तर प्रदेश में छानबीन कर चुकी है। फिर वारंट हासिल करने के बाद बड़े ही गोपनीय ढंग से कई जगह तलाशा, लेकिन पाण्डेय का कोई सुराग नहीं मिला। तब यह बात सामने आयी कि पाण्डेय गाजीपुर के अपने गांव गये हैं, लेकिन छानबीन में गाजीपुर में पाण्डेय का पता ठिकाना नहीं मिल सका।

इस सिलसिले में वाराणसी जोन के पुलिस महानिरीक्षक जीएल मीणा से बातचीत की गयी तो उन्होंने भी साफ कहा उन्हें पीपी पाण्डेय के गृह जिले और गांव के बारे में कोई जानकारी नहीं है। पाण्डेय के गृह जिले के संदर्भ में जब उनके बैच के अधिकारियों से बातचीत की गयी तो एक ने बताया कि 15-20 साल पहले वह समारोह में उनके गांव गये थे। संभवत: जौनपुर या मिर्जापुर का गांव था। उन्हें याद नहीं रहा। गुजरात पुलिस महानिदेशक कार्यालय में सम्पर्क किया गया तो सुरक्षा का हवाला देकर पीपी पाण्डेय के पैतृक गांव का पता बताने से इंकार कर दिया।

दरअसल, सीबीआइ पाण्डेय को पकड़ने में विशेष सावधानी बरत रही है, लेकिन मामला संवेदनशील होने की वजह से उनकी सुरक्षा का भी विशेष ख्याल रख रही है। इसलिए सीबीआइ और पुलिस के अधिकारी भी पाण्डेय का पता छिपा रहे हैं। शासन स्तर पर भी सीबीआइ ने पाण्डेय के सिलसिले में संवाद स्थापित किया है, लेकिन पूरी गोपनीयता के साथ। इस बारे में शासन का कोई अफसर कुछ बताने को तैयार नहीं है।