Saroj Kumar : देखिए-देखिए… विज्ञापन के बदले खबर लिखने-बनाने की चोरी पकड़ी गई… दैनिक …….., पटना के इस खबर ‘डीएवी कैंट एरिया के छात्रों ने कई क्षेत्रों में लहराया परचम’ के बॉक्स में क्या लिखा है- “डीएवी स्कूल अपना विज्ञापनदाता है। इस कारण से कृपया कर इस खबर को रंगीन पेज पर सभी फोटों के साथ जगह देने की कोशिश करेंगे”
…वैसे भला हो उस पत्रकार या पेजीनेटर का जिसने अपने वरिष्ठ जो शायद संपादक या मार्केटिंग हेड होगा, का बयान हूबहू खबर के साथ कोट कर दिया और जितनों ने भी दैनिक ……….. की प्रति खरीदी इसे पढ़ लिया…हाहाहा…ये तो किसी से छिपा नहीं है कि छोटे-बड़े सभी विज्ञापन दाताओं के लिए मीडिया खबरें क्रिएट करती है, लेकिन इस तरह चोरी पकड़ी जाना मजेदार है…
Shobha Shami Inki Toh lag gayi
Vivek Singh Jagran wale chor hai.
Konika Arora hahahahaha… great……… actually aisa to sabhi karte hain but chori sirf jagran ki pakdi gayi… hahahahahah…. aisi mistake hoti rehni chahiye…. isnt it????
Prabhu Singh Saroj Kumar ji apko shukriya
Abhishek Anand विज्ञापन के बदले उनके पक्ष में कुछ सकारात्मक खबरें प्लान करने का जो यह मॉडल है, सिर्फ जागरण का है नहीं, देशभर के अखबार शायद यही कर रहे हैं। अपवाद को हटाकर देखा जाए। क्या कोई बता सकता है इस अखबारी रेवेन्यू मॉडल के जनक कौन हैं और कब से अखबारों में धरल्ले से लागू है
Saroj Kumar दरसल अखबार अगर खुले तौर पर घोषित कर दे कि अमुक हमारा विज्ञापनदाता है तो पाठक आसानी से समझ जाएगा और एक तरह से यह मीडिया की इमानदारी होगी लेकिन मीडिया हाउस ऐसा नहीं करते, इसलिए यह पाठकों को धोखा देना ही है…इसीखबर की तरह अगर अखबार वाले बताने लगें कि अमुक हमारा विज्ञापनदाता है तो फिर दिक्कत ही क्या…
Sandip Naik ये पब्लिक है सब जानती है……….
Abhishek Anand वैसे अखबार से बाहर, पत्रिकाओं और चैनलों में भी इस मॉडल से खबरें छपती होंगी…
Saroj Kumar पूरी मीडिया की यहीं बात है…केवल एक की चोरी की बात थोड़े ही है…
Krishna Kant हा हा हा हा हा हा हा हा हा…. सरोज भाई, इसे एक बेशर्मी भरी हंसी समझें। दुर्भाग्य से हम आप इस भंड़ुआ मीडिया का हिस्सा हैं।
Avinash Kumar Chanchal Agar is galti ko media niyam bna le tokoi dikkat hi n ho..
Khabar chhapo lekin likh do ki vigyapandata hai..waise aesa hi kuchh din pahle ranchi me v huaa ta.. @sandip ji yahi dikkat hai janta bahut kuchh nhi jaan pati
Avinash Kumar Chanchal Bechare desk wale ki naukari to gyi editor mahoday bane rhenge..malik v..aur akhbaar v..
Mohammad Anas पूरे मीडिया में यही होता है ,ये वाली न्यूज़ सिर्फ मज़े लेने के लिए ली जा सकती है ,बाकी ऊँची ऊँची बाते ,बड़ी बड़ी क्रान्ति ,सब ढकोसला है ..सारा कुछ विज्ञापन पर टिका हुआ है ,ये जनता भी जानती है और मालिक भी //
सुयश सुप्रभ इस बहस को ढकोसला कहना सही नहीं होगा। गंदगी को साफ़ करने के लिए हिम्मत चाहिए। ऐसी हिम्मत दिखाने वाले लोगों से ही थोड़ी-बहुत उम्मीद बचती है।
Avinash Kumar Chanchal Andar gandgi saaf karne ki malik ijajt nhi deta..
Haan, khud ki safai karte rhiye..aur saaf raasta nikalte rhiye- yahi jaroori hai
Neeraj Bhatt gazab pakadaa hai
Saroj Kumar Mohammad Anas ऊपर की न्यूज केवल मजे के लिए नहीं है, जिस तरह से इस न्यूज के जरिए(भले ही गलती से हुआ हो) पाठकों तक सही से खबर पहुंची ना कि भाई डीएवी वाले हमारे विज्ञापनदाता भी हैं…यह बहस का मुद्दा तो बन ही सकता है ना कि अखबार बेशक किसी विज्ञापनदाता के लिए लिखें लेकिन बताएं भी कि हां अमुक हमारा विज्ञापनदाता है…यह पारदर्शिता होगी…
Avinash Kr Banty Ye to sab reporter karte hai. Aur kare v Q nahi. Akhir media house ke bade rahnuma addvertisement ke liye districk lable par target fix kar dawab jo banate. Daily torchar aur matha-pachi. Akhir reporter jo school se add leta hai uska news chapwana unke liye chunauti bani rahti hai. Kai baar news nai chapne par unki sakh girti hai. To aise me gaya adision ke reporter bhai ne likha (wayan me) to kya hua
सरोज कुमार के फेसबुक वॉल से.