राशन कार्डो का नवीनीकरण- कुण्डी खटखटाएं, चूल्हे गिने और किराएदारों के अलग राशन कार्ड बनाएं

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Rashan Card Surveyफर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश में राशन कार्डो के नवीनीकरण का काम चल रहा है| इसी के साथ सर्वे के आधार पर नए राशन कार्ड भी जारी किये जाने का आदेश सरकार ने किया है| मगर जनपद में सब उल्टा पुल्टा हो रहा है| राशन कार्ड के फार्म पुरानी संख्या के आधार पर कर्मियों को दिए गए है जो कम पड़ रहे है| कर्मी घर घर कुण्डी खटका कर चूल्हे गिनने की जगह एक जगह ही बैठ राशन कार्डो के फार्म भरने का काम कर रहे है या फिर ये फार्म कोटेदारो या अन्य सहयोगियो को दे दिए गए है| जिससे आम जनता अभी भी इधर उधर भटक रही है और आशंका है कि समय से सही पात्रो को एक बार फिर राशन कार्ड नहीं मिल पायेंगे|

नियम के अनुसार अगर घर में अलग अलग कई रसोई है तो उन रसोई से पोषित लोग अलग अलग परिवार के सदस्य हों| यह केंद्रीय योजना है और इसमें केंद्र के ही नियम लागू होते है| इसके अलावा हर किरायेदार को राशन कार्ड लेने का हक है| किन्तु व्यवहारिक रूप से गाँव में विशेष दिक्कत आ रही है| कहीं फार्म कम होने का नाटक तो कहीं आदेश स्पष्ट न होने का नाटक| कई जगह केवल पुराने राशन कार्डो के सापेक्ष ही नए राशन कार्ड के फार्म भरे जाने की खबरे मिली है| ऐसे में नए परिवार के मुखिया को राशन कार्ड लेने के लिए मुश्किल हो रही है| और इसी मुश्किल को खड़ा करके उनसे सुविधा शुल्क भी वसूलने की खबर है| जिला प्रशासन को चाहिए कि इन जगहों परऔचक निरिक्षण कर जनता से रूबरू हो|

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अकेले मई माह में ही जिलाधिकारी के पास दो दर्जन से ज्यादा शिकायते राशन कार्डो के नवीनीकरण में अनिमियतता को लेकर विभिन्न संगठनो/सभासदों और व्यक्तिगत दर्ज करायी गयी है मगर सुधार के नाम पर प्रगति अभी अटक शून्य है| लगता है नीचे वाले को ऊपर वाले अफसर के आर्डर न मानने की परम्परा बहुत ही मजबूत हो चली है| जनपद में राशन कार्ड सर्वे का काम शुरू होने में ही विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गयी थी| नगर क्षेत्र में शिक्षको की ड्यूटी लगते ही उन्होंने इस ड्यूटी को करने से मन कर दिया था| मगर ये काम शिक्षको से ही कराने की जिद के चलते आलम ये हुए कि एक माह बाद भी आधे शिक्षको ने काम शुरू नहीं किया| उत्तर प्रदेश के कई जनपदों में राशन कार्ड के सर्वे के काम के लिए आँगन बाड़ी, शिक्षा मित्रो, नगरपालिका के कर्मियों का सहारा लिया गया है| पड़ोस के ही जनपद कन्नौज में राशन कार्डो के सर्वे का काम लगभग अंतिम चरण में पहुच गया है| यहाँ नगर क्षेत्र में ये काम नगरपालिका से कराया गया| नगरपालिका के पास प्रयाप्त कर्मी होते है| हर मोहल्ले पर एक हवलदार होता है| इसी के साथ जनता के प्रतिनिधि के तौर पर एक सभासद भी होता है| मगर लगता है कि फर्रुखाबाद का जिला आपूर्ति विभाग के पास कुछ छुपाने को है जिसके कारण ये काम नगर क्षेत्र में पारदर्शिता से नहीं कराया जा रहा है|

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बीपीएल और अन्तोदय कार्डो के लिए जनता को मूर्ख बनाकर हो रहा लेखपालो का उपरी कमाई का खेल-
बी पी एल राशन कार्ड बनाने के लिए अधिकतम आय 25000 रुपये सालाना का पैमाना तो है मगर साथ ही साथ अगर किसी के घर टीवी मोटर साइकिल, फ्रिज, मोबाइल या पक्का मकान तक हुआ तो उसका बना बनाया बी पी एल का राशन कार्ड अपात्र की श्रेणी में आ जायेगा| ये बात सार्वजानिक नहीं की जा रही है और इसी के चलते कई लेखपालो ने थोक के भाव 1000/- प्रति घूस लेकर आय प्रमाण पत्र जारी करने का धंधा चालू कर रखा है| यानि जो चीज सार्वजनिक होनी चाहिए और ढिंढोरा पीट कर बताई जानी चाहिए उसकी दुग्दुगी अभी तक जिला आपूर्ति विभाग ने नहीं पिटवाई है जबकि इस आशय का आदेश 26 अप्रैल को खाद्य एवं आपूर्ति निर्देशालय द्वारा जारी की जा चुकी है| भ्रष्टाचार होने से पहले रोकने की जगह होने के बाद जो होगा देखा जायेगा की पद्दति पर काम हो रहा है| अभी घूसखोरी कर अपात्रो को बीपीएल श्रेणी का राशन कार्ड बन जाने का पूरा मौका मिलेगा और उसके बाद शिकवा शिकायत होने पर जांचा और जांच के नाम पर नया धंधा ……|

बीपीएल/अन्तोदय श्रेणी के राशन कार्डो की पात्रता कोटेदारो की दुकानों और सार्वजानिक स्थानों पर प्रकाशन के आदेश रद्दी की टोकरी में फेक दिए गए है| ये तो बड़ी बात है जब कोटेदारो की दुकानों के बाहर लगे खाद्यान के बोर्डो पर गोदाम का भण्डारण नहीं लिखा जाता तो ये उम्मीद करना ही बेईमानी है| अगर पहले से ही सतकर्ता बरती जाए तो गड़बड़ी पर अंकुश लगाया जा सकता है| मगर असल में ऐसा नहीं हो रहा| कार्यालय से आदेश तो जारी होता है फाइल का पेट भरने के लिए किन्तु व्यवहारिक तौर पर मूक स्वीक्रति मनमानी कर जेब गरम करने के रस्ते खुले रखे जाते है|