अयोध्या: विराजमान रामलला के स्थान पर मंदिर व अधिग्रहीत परिसर के दक्षिण-पश्चिम में मस्जिद निर्माण का प्रस्ताव किया गया है। इस प्रस्ताव को अयोध्या फैजाबाद के लोगों के सामने 19 मई शनिवार से हस्ताक्षर के लिए प्रस्तुत किया गया। इसमें दोनों समुदायों के दस हजार लोगों के हस्ताक्षर से समर्थन के बाद अधिग्रहीत परिसर के रिसीवर मंडलायुक्त को सौंपा जाएगा। इसके बाद प्रस्ताव राज्य सरकार के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय में पेश किया जाना है।
[bannergarden id=”8″] उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति पलोक बसु की पहल पर पिछले ढाई वर्ष से दोनों समुदायों के लोगों की बैठकों के माध्यम से इसका प्रयास चल रहा था। उल्लेखनीय है कि श्रीरामजन्मभूमि निर्माण सेवा समिति अध्यक्ष महंत जनमेजय शरण की अध्यक्षता व न्यायमूर्ति पलोक बसु के संयोजन में एक सप्ताह पूर्व 12 मई को समाधान समिति की बैठक में प्रस्ताव को पढ़कर सुनाया गया। बैठक में मौजूद दोनों समुदायों के लोगों ने प्रस्ताव पर सहमति जताई। दूसरी ओर करीब 70 एकड़ में फैले अधिग्रहीत परिसर में ही मंदिर के साथ-साथ दक्षिणी-पश्चिमी ओर मस्जिद बनाने का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया है। इस प्रस्ताव के पहले बिंदु में कहा गया है कि इसमें अयोध्या-फैजाबाद के लोग ही शामिल हो सकेंगे। बाहरी व्यक्ति, संस्था आदि की इसमें कोई भागीदारी स्वीकार नहीं की जाएगी। विराजमान रामलला स्थल पर मंदिर निर्माण का कोई भी पंथ या व्यक्ति विरोध नहीं करेगा। अयोध्या विवाद समाधान के चार सूत्रीय प्रस्ताव को समाधान संबंधी समिति की मंजूरी भी मिल चुकी है।
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न्यायमूर्ति पलोक बसु ने बैठक में कहा था कि अब अयोध्या विवाद का हल यहां के लोगों के हाथों में हैं। वे सामने आकर अपने अधिकारों का प्रयोग कर इस विवाद को हमेशा के लिए समाप्त कर दें।