FARRUKHABAD : तहसील दिवस शिकायतों के आन लाइन पंजीकरण और निस्तारण की व्यवस्था इस उद्देश्य से की गयी थी कि जनपद स्तरीय अधिकारी शिकायतों के निस्तारण के सत्यापन के भय से शायद फर्जी निस्तारण न करें। परन्तु अब इसे व्यवस्था की खामी कहें या जनपद स्तरीय अधिकारियों का दुस्साहस और हठधर्मिता। जनपद स्तरीय अधिकारी तहसील दिवस शिकायतों तक का बेबसाइट पर फर्जी निस्तारण चढ़ाने से नहीं चूक रहे हैं। ताजा मामला तहसीलदार सदर के कारनामे का है। इससे पूर्व जेएनआई जिला पूर्ति अधिकारी के ऐसे ही कारनामों का खुलासा कर चुका है। परन्तु कार्यवाही न होने से अधिकारियों के हौसले बुलंद हैं।
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जिला मुख्यालय की नाक के नीचे स्थित विकासखण्ड बढ़पुर नगला सातनपुर निवासी विजय कुमार उर्फ राकेश पुत्र रामेश्वर दयाल ने खतौनी में नामशुद्धीकरण हेतु 7 नवम्बर 2012 को उपजिलाधिकारी सदर को समस्त औपचारिकतायें पूर्ण कर प्रार्थनापत्र दिया था। जिस पर एसडीएम ने तहसीलदार के लिए और तहसीलदार ने आर के (रिकार्ड कीपर) अभिलेख पाल के लिए आदेश कर दिये थे। परन्तु तहसील कार्यालय की व्यवस्था के अनुरूप अभिलेख पाल को निर्धारित दो हजार रुपये की फीस नहीं मिली तो एसडीएम और तहसीलदार के आदेश को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया गया। कई बार की मिन्नत समाजत के बाद आखिर एक दिन आर के बाबू फट ही पड़े! बोले ‘‘ दो हजार रुपये नगद लिये बिना राष्ट्रपति भी आदेश कर दें तो खतौनी में संशोधन नहीं हो सकता’’ बेचारा राकेश अपना सा मुहं लेकर लौट आया।
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आखिर विगत 2 अप्रैल को विजय कुमार ने तहसील सदर में आयोजित तहसील दिवस के दौरान शिकायतीपत्र प्रस्तुत किया और आखिर तहसील दिवस बेबसाइट पर उपलब्ध विजय कुमार के इस आवेदन के निस्तारण ने आर के बाबू की चुनौती को साकार कर दिया। स्वयं तहसीलदार महोदय ने विजय कुमार के आवेदन संख्या 29313-00361 को फर्जी तौर से निस्तारित करते हुए निस्तारण के कालम में लिख दिया ‘‘ खतौनी में नाम शुद्धि का निस्तारण कर दिया गया’’ जबकि आज भी राजस्व विभाग की भूलेख बेबसाइट पर तहसील सदर, परगना पहाड़ा, ग्राम सातनपुर के खाता संख्या 00205 पर विजय कुमार का नाम दर्ज नहीं किया गया है।