अयोध्या: एक परिसर में ही मंदिर-मस्जिद का प्रस्ताव

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Palokअयोध्या, जागरण संवाददाता। विराजमान रामलला के स्थान पर मंदिर व अधिग्रहीत परिसर के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में मस्जिद निर्माण का प्रस्ताव किया गया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश पलोक बसु की पहल पर पिछले ढाई वर्ष से दोनों समुदायों के लोगों की बैठकों के माध्यम से इसका प्रयास चल रहा था। तैयार प्रस्ताव को अगले एक सप्ताह बाद अयोध्या-फैजाबाद के लोगों के सामने हस्ताक्षर के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।

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दोनों समुदायों के दस हजार लोगों का समर्थन प्राप्त करने के बाद हस्ताक्षरयुक्त प्रस्ताव अधिग्रहीत परिसर के रिसीवर मंडलायुक्त संजय प्रसाद को सौंपा जाएगा। इसके बाद यह प्रस्ताव राज्य सरकार के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया जाना है।

अयोध्या विवाद के समाधान के चार सूत्रीय प्रस्ताव को समाधान संबंधी समिति की उपसमिति की मंजूरी मिल गई है। श्रीरामजन्म भूमि निर्माण सेवा समिति के अध्यक्ष महंत जनमेजय शरण की अध्यक्षता व न्यायमूर्ति पलोक बसु के संयोजन में शनिवार को हुई समाधान समिति की बैठक में उपसमिति द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव को पढ़कर सुनाया गया। बैठक में मौजूद दोनों समुदायों के लोगों ने प्रस्ताव पर सहमति जताई।

स्वीकृत प्रस्ताव में अयोध्या मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष सादिक अली द्वारा हाई कोर्ट से मुस्लिम समुदाय को मिली जमीन की चहारदीवारी कराए जाने का मामला मंजूर कर लिया गया। इस भूमि पर न तो कोई निर्माण होगा, न ही उद्यान आदि विकसित किया जाएगा। दूसरी ओर करीब 70 एकड़ में फैले अधिग्रहीत परिसर में ही मंदिर के साथ-साथ दक्षिणी-पश्चिमी ओर मस्जिद बनाने का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया है।

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इस प्रस्ताव के पहले बिंदु में कहा गया है कि इसमें अयोध्या-फैजाबाद के लोग ही शामिल हो सकेंगे। बाहरी व्यक्ति, संस्था आदि की इसमें कोई भागीदारी स्वीकार नहीं की जाएगी। विराजमान रामलला स्थल पर मंदिर निर्माण का कोई भी पंथ या व्यक्ति विरोध नहीं करेगा। बैठक के बाद समिति के प्रवक्ता ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि प्रस्ताव मुद्रित कराने के बाद अयोध्या-फैजाबाद के लोगों के सामने प्रस्तुत होगा।

इसमें एक सप्ताह का समय लगेगा। प्रस्ताव को स्वीकृत करने वाली समिति में दशरथ महल बड़ा स्थान के महंत विन्दुगद्याचार्य देवेंद्र प्रसादाचार्य, महंत जनमेजय शरण, नागा रामलखन दास, सैय्यद आफताब रजा, अब्दुल लतीफ, सादिक अली, ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव, शोभा मित्रा, देवमोरारी बापू, महंत रामसुशील दास, बालकृष्ण गोस्वामी तथा मंजर मेंहदी शामिल रहे।

बैठक में मौजूद अन्य प्रमुख लोगों में निर्मोही अखाड़ा के वकील आरएल वर्मा, महंत पुरुषोत्तमाचारी, डॉ. जगदीश जायसवाल, कैसर अंसारी आदि शामिल रहे। न्यायमूर्ति पलोक बसु ने कहा कि अब अयोध्या विवाद का हल पूरी तरह यहां के लोगों के हाथों में हैं। वे सामने आकर अपने अधिकारों का प्रयोग कर इस विवाद को हमेशा के लिए समाप्त कर दें।