छत्तीसगढ़ में ‘अक्ती’ के नाम से प्रचलित अक्षय तृतीया को लेकर पूरे राज्य में तैयारी चल रही है. लगभग 28 वर्षों बाद अद्भुत संयोग के साथ आ रही अक्षय तृतीया इस बार ज्योतिष की तिथियों के फेर में फंस गई है. कई ज्योतिषी 12 तो कुछ 13 मई को अक्षय तृतीया होने की बात कह रहे हैं.
कुछ ज्योतिषियों का कहना है कि दोनों दिन अक्षय तृतीया मनाई जाएगी. तिथियों के फेर में फंसी अक्षय तृतीया इस बार दो दिन यानी 12 व 13 मई को मनाई जाएगी. अक्षय तृतीया पर्व पर इस बार शनि 28 साल बाद अपनी उच्च राशि में गोचर करेंगे.
पंडितों के अनुसार, भक्तों के लिए यह संयोग विशेष फलदायी होगा. भगवान परशुराम जयंती पर्व को लेकर भी पंडितों की अलग-अलग राय है. इसीलिए कुछ 12 तो कुछ 13 मई को इसे मनाने का तर्क दे रहे हैं.
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एक ओर जहां ज्योतिषी अक्षय तृतीया की तिथि को लेकर उलझे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर अक्षय तृतीया के लिए गुड्डे-गुड्डियां बेचने वाले बाजार पहुंचने लगे हैं.
बेमेतरा के नयापारा में ज्योतिष केंद्र संचालित करने वाले पंडित अजय शर्मा ने बताया कि 12 मई को 10.18 बजे से अक्षय तृतीया की तिथि लगेगी तथा वह दूसरे दिन 13 मई को 12.47 बजे तक जारी रहेगी. इसलिए अक्षय तृतीया स्वयं सिद्ध मुहूर्त दोनों दिन पूरे समय रहेगा. इस दौरान किए गए शुभ कार्य का पूरा लाभ मिलेगा.
वहीं, पुरोहित मनोज दुबे ने बताया कि 13 मई को अक्षय तृतीया पड़ेगी. 12 मई को सूर्य उदय की द्वितीय तिथि है. 12 मई को भगवान परशुराम जयंती है. 13 मई को तृतीया रहेगी तथा इसी दिन अक्षय तृतीया पड़ेगी. इस दिन सिद्ध शुभ मुहूर्त में शुभ कार्य किए जाएंगे.
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आम लोगों में इस बात को लेकर भ्रम की स्थिति बनती दिख रही है, परंतु ज्योतिषियों ने दोनों ही दिन शुभ मुहूर्त होने की बात कहकर एक तरह से वर्षों बाद आ रहे इस विशेष संयोग के प्रति आम लोगों का रुझान और भी बढ़ा दिया है.
विशेष संयोग: सूर्य अपनी उच्च राशि में
अक्षय तृतीया इस बार विशेष संयोगों के साथ आ रही है. पर्व पर जहां एक ओर सूर्य देव अपनी उच्च राशि ‘मेष’ और चंद्र देव अपनी उच्च राशि ‘वृषभ’ में गोचर करेंगे, वहीं न्याय के देवता भगवान शनि भी अपनी उच्च राशि ‘तुला’ में गोचर करेंगे.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 28 साल बाद अक्षय तृतीया पर शनि देव का गोचर हो रहा है. इस संयोग से भक्तों को हर क्षेत्र में सकारात्मक फल की प्राप्ति होगी. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस अवसर पर शनि साढ़े साती से पीड़ित जातक भगवान शनि की विधिवत आराधना, हवन-अनुष्ठान कर इस दोष से छुटकारा पा सकेंगे|