नई दिल्ली। रेलवे घूस कांड में पवन सीबीआई ने कोर्ट में दावा किया है कि बोर्ड मेंबर बनने के लिए मुख्य आरोपी महेश कुमार ने रेल मंत्री के भांजे विजय सिंगला को 10 करोड़ की घूस देने की डील की थी। यही नहीं, सीबीआई ने कोर्ट में एक और चौंकाने वाला खुलासा किया है। सीबीआई के मुताबिक महेश कुमार बोर्ड मेंबर के साथ पश्चिम जोन के जीएम का अतिरिक्त पदभार चाहते थे। इसके लिए महेश कुमार से दो करोड़ रुपये की रिश्वत अलग से मांगी गई थी। सीबीआई ने इस मामले में 8 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है जिनमें से अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
रेल मंत्री के भांजे और बोर्ड मेंबर से जुड़े रेलवे घूस कांड में सीबीआई ने शनिवार देर रात एक और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक घूसकांड में अब तक 7 गिरफ्तार हो चुके हैं। दिल्ली के कारोबारी राहुल यादव को गिरफ्तार किया गया है। राहुल घूसकांड से जुड़े उन बिचौलियों में से एक है जिनके नाम सीबीआई की एफआईआर में हैं। राहुल की गिरफ्तारी के बाद इस मामले में अब तक सात लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। इनमें रेल मंत्री का भांजा विजय सिंगला, रेलवे बोर्ड मेंबर महेश कुमार, बिचौलिया संदीप गोयल, और मंजूनाथ शामिल हैं। इनके अलावा विवेक कुमार पांडे और धर्मेंद्र कुमार नाम के दो लोगों को भी सीबीआई ने अपनी गिरफ्त में लिया है।
इस बीच रेल मंत्रालय ने 90 लाख रुपये की रिश्वत देने के आरोपी रेलवे बोर्ड मेंबर महेश कुमार को निलंबित कर दिया है। रेलवे के एडीजी पीआर अनिल सक्सेना के मुताबिक सीबीआई से आधिकारिक रिपोर्ट मिलने के बाद रेल मंत्रालय ने महेश कुमार को निलंबित कर दिया है।
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महेश कुमार को रेल मंत्रालय के उस बयान के कुछ घंटे बाद निलंबित किया गया जिसमें कहा गया था कि मेंबर (स्टाफ) की नियुक्ति में नियमों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ। गौरलतब है कि महेश कुमार पर आरोप है कि उन्होंने बोर्ड मेंबर बनने के लिए रेल मंत्री पवन बंसल के भांजे विजय सिंगला को रिश्वत दी।
इससे पहले शनिवार को सीबीआई की विशेष कोर्ट में पेश किए गए विजय सिंगला समेत चार आरोपियों को चार दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया गया। सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कोर्ट में बताया कि
विजय सिंगला और महेश कुमार के बीच रेलवे घूस कांड का सौदा 10 करोड़ में तय हुआ था। यही नहीं, सीबीआई ने कोर्ट में एक और डील की बात कह कर सबको चौंका दिया। सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि बोर्ड मेंबर बनने के अलावा महेश कुमार ने पश्चिम जोन के जीएम समेत सिग्नल और टेलीकॉम का अतिरिक्त पदभार की मांग की थी। इसके लिए महेश कुमार से अलग से दो करोड़ रुपये रिश्वत की मांग की गई थी।
सीबीआई के मुताबिक बोर्ड मेंबर बनने के लिए तय हुई 10 करोड़ की घूस के पांच करोड़ रुपये पोस्ट ज्वॉइन करने से पहले देने थे, जबकि बाकी के पांच करोड़ ज्वॉइन करने के बाद। सीबीआई की मानें तो महेश कुमार ने पहली किश्त के 2 करोड़ रुपए दे भी दिए थे। जिसमें से 90 लाख रुपए बरामद हो चुके हैं।
सूत्रों की मानें तो बाकी बचे 8 करोड़ रुपए जुलाई में दिए जाने थे जब महेश कुमार रेलवे बोर्ड में मेंबर इलेक्ट्रिकल बन जाते। महेश कुमार मेंबर इलेक्ट्रिकल इसलिए बनना चाहते थे क्योंकि इस विभाग में रेलवे जल्द ही कई सौ करोड़ रुपए का एक टेंडर निकालने वाली थी। यही नहीं महेश कुमार 30 मई को खाली हो रहे रेलवे बोर्ड चेयरमैन के लिए भी जबरदस्त लॉबिंग कर रहे थे।
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सुनवाई के दौरान सीबीआई ने अदालत से कहा कि ये पूरा मामला एक बड़ी साजिश है और इसमें कई अन्य लोग भी शामिल हैं। इसके लिए आरोपियों से पूछताछ की जरूरत है ताकि पूरी साजिश का पर्दाफाश हो सके।
सीबीआई अब दिल्ली के कारोबारी समीर संधीर, फरीदाबार के कारोबारी सुशील डागा और चंडीगढ़ के अजय गर्ग नाम के शख्स की तलाश में जुटी है। सीबीआई के मुताबिक इन तीनों लोगों से भी महेश कुमार ने पैसों के इंतजाम के लिए बातचीत की थी। ये वादा किया था कि मन मुताबिक पद मिलने के बाद उन्हें फायदा पहुंचाया जाएगा CBI ने कोर्ट में ये भी कहा है कि उसे ये पता करना है कि इस घूसखोरी से सीधा फायदा किस शख्स को हुआ है।