लखनऊ : केंद्र सरकार ने विकट होती कुपोषण की समस्या पर नियंत्रण की तैयारी शुरू कर दी है। देश में अधिकतर लोग सिर्फ अनाज खाकर पेट भरने पर भरोसा कर रहे हैं। इससे भोजन में तमाम जरूरी पोषक व शक्तिवर्द्धक तत्वों की कमी रह जाती है। इसके लिए न्यूट्रीफार्मिंग की मदद से राज्यों में खाद्यान्न की गुणवत्ता सुधारने के साथ ही जरूरी विटामिन, प्रोटीन व खनिजों की पूर्ति करने वाली फसल व प्रजाति की उपज बढ़ाने की तैयारी है। कृषि विभाग ने इसकी कार्ययोजना भी तैयार कर ली है।
[bannergarden id=”8″]
जिन क्षेत्रों में जनता में लौह तत्व की कमी पायी जाती है वहां ऐसे खाद्यान्न की उपज पर खास ध्यान दिया जाए। जिससे सामान्य भोजन से ही लौह तत्व की पूर्ति हो जाए। कृषि निदेशक डीएम सिंह बताते है कि विलुप्त होती धान की ‘काला नमक’ प्रजाति में लौह तत्व प्रचुर मात्रा में मिलता है लेकिन पैदावार कम होने से किसानों ने इसकी बोआई लगभग बंद कर दी। अधिक उपज की होड़ में धान की नई प्रजातियां चलन में आयी परन्तु उनसे लौह तत्व की पूर्ति नहीं हो पाती है।
[bannergarden id=”11″]
भोजन में मोटे अनाज का इस्तेमाल अल्प होने से भी शरीर को जरूरी पोषक तत्वों की कमी रह जाती है। जौ, मक्का ज्वार व बाजरा जैसे खाद्यान्न में फाइबर, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट,वसाव प्रोटीन की बेहतरीन उपलब्धता है। संतुलित भोजन न मिलने के कारण महिलाओं में कुपोषण की स्थिति अधिक भयावह है। इसके साथ ही बच्चों का भी स्वास्थ्य प्रभावित होता है। करीब 38 प्रतिशत महिलाओं में रक्त अल्पता व रोगप्रतिरोधात्मक क्षमता कम होने के सरकारी आंकडे़ है।
क्या है न्यूट्री फार्मिग : दरअसल क्षेत्रीय आधार पर पोषक तत्वों की पूर्ति खाद्यान्न के माध्यम से कराने को भारत सरकार ने विशेष कार्ययोजना तैयार की है। अब क्षेत्रीय जरूरत के मुताबिक ऐसी प्रजाति के गेहूं, चावल, मक्का, बाजरा व ज्वार जैसी फसलों की बुआई को प्रोत्साहित किया जाएगा। जिनसे आम आदमी को प्रोटीन, लौह, जिंक, फाइबर, विटामिन व मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व भोजन भोजन के जरिए सहज ही उपलब्ध हो जाएं। इससे कुपोषण को समाप्त करने में मदद मिलेगी क्योंकि आमतौर पर निचले तबके के लोग अनाज खाकर ही काम चलाते है। पोषक तत्वों वाले खाद्यान्न को स्थानीय आवश्यकता के अनुसार उपजाने को न्यूट्री फार्मिंग नाम दिया गया है। इससे फसलों में बाजार की मांग पूरी करने के साथ न्यूट्रीशनल वैल्यू का भी ध्यान रखा जाएगा।
नौ राज्यों में लागू होगी योजना : यूपी के अलावा मध्य प्रदेश, बिहार, असम, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, राजस्थान व उत्तराखंड को न्यूट्री फार्मिग के लिए चुना गया है।
उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात, इलाहाबाद, जेपीनगर, औरेया, आजमगढ़, बुलंदशहर, बागपत, बांदा, संत कबीरनगर, चंदौली, चित्रकूट, इटावा, फैजाबाद, फर्रूखाबाद, फतेहपुर, गाजीपुर, हरदोई, हाथरस, संत रविदास नगर, कौशाम्बी, मैनपुरी, उन्नाव, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, सिद्धार्थनगर, कुशीनगर, पीलीभीत, रायबरेली, रामपुर व शाहजहांपुर में न्यूट्री फार्मिग होगी। मध्य प्रदेश में 25, राजस्थान में 16, बिहार में 12, छत्तीसगढ़ में तीन, उड़ीसा में छह, असम में तीन व उत्तराखंड के दो जिलों को भी इसका लाभ मिलेगा। —–
एक दर्जन प्रजातियां चिन्हित : संतुलित भोजन से गायब होती खाद्यान्न की करीब दर्जन प्रजातियों को चिन्हित किया है। जैसे धान की काला नमक, पंत सुगंधा, रत्ना, टाइप-3 जैसी अनेक प्रजाति चलन से बाहर हो चुकी है। इनसे लौह, जिंक व मैग्नीशियम जैसे तत्वों की पूर्ति सहज होती है। धान के साथ गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा और ग्वार जैसी फसलों की देसी प्रजातियों के बीजों का संवर्धन करना भी योजना में शामिल है क्योंकि संकर प्रजाति के बीजों से अधिक उनमें पोषक तत्वों की भरमार है। किसानों को अच्छी किस्म का बीज उपलब्ध कराने के साथ उन्हें वैज्ञानिक तकनीकी जानकारियां भी दी जाएगी।