लखनऊ : गाजियाबाद में कांशीराम आवासीय योजना के मकानों के आवंटन में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां की गई। जांच में यह राजफाश होने पर लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने मुख्य सचिव से गाजियाबाद के एक तत्कालीन एसडीएम, दो तहसीलदारों समेत आठ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है।
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वर्ष 2011 में कांशीराम आवासीय योजना के 36 व्यक्तियों को आवास आवंटित किया गया। इसमें से एक 21 लाभार्थी अपात्र थे। कई तो यूपी के बाहर के थे। कुछ की माली हालत करोड़ों में थी। गाजियाबाद निवासी मीनाक्षी माथुर ने इसकी शिकायत लोकायुक्त के यहां की। जांच शुरू होते ही गाजियाबाद के तत्कालीन जिलाधिकारी ने अपने स्तर से जांच कराकर अपात्रों के आवंटन रद कर दिए लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। लोकायुक्त की ओर से इस मुद्दे पर जवाब तलब किये जाने पर जिलाधिकारी ने बताया कि योजना की नियमावली में गड़बड़ी के जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का प्राविधान नही है, इसलिए कार्रवाई नहीं की गई है। अब लोकायुक्त ने अपनी जांच रिपोर्ट के साथ मुख्य सचिव को भेजे निर्देश में कहा है कि लोकहित कारी योजना में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का नियम बनाया जाए। और जिन आठ अधिकारियों को अपात्र लोगों को आवास आवंटित करने का जिम्मेदार पाया गया है उनके खिलाफ सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावाली के तहत कार्रवाई की जाए। लोकायुक्त ने बताया कि उन्होंने अपनी संस्तुति मुख्य सचिव को भेज दी है।
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इनके खिलाफ हुई कार्रवाई की संस्तुति
गजेन्द्र सिंह कर निरीक्षक नगर निगम गाजियाबाद, राजीव कुमार, पूर्ति निरीक्षक गाजियाबाद, युगराज सिंह, तहसीलदार गाजियाबाद, शिव कुमार एसडीएम गाजियाबाद, झब्बर सिंह तहसीलदार (न्यायिक) गाजियाबाद, सुशील कुमार, अतुल कुमार, सुश्री रेशमा सहायक चकबंदी अधिकारी।