कार्यकर्ता सम्‍मेलन के नाम पर जुटे सपाइयों ने निकाली मंच से भड़ास, साधा जिलाध्‍यक्ष पर निशाना

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SP Sammelan4 फर्रुखाबाद: आंतरिक कलह से बुरी तरह जूझ रही समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता सम्‍मेलन में मंगलवार को मंच से ही सपाइयों ने जमकर भडास निकाली। अधिकांश के निशाने पर जिलाध्‍यक्ष राजकुमार सिंह राठौर ही रहे। समाजवादी पार्टी की सरकार की उपलब्‍धियों को रिपोर्ट कार्ड की तरह जनता के बीच ले जाने की मुहिम से स्‍थानीय मंत्री तो दूर अधिकांश विधायक तक नदारद रहे। मंच पर बैठने को लेकर भी आपाधापी रही, खिसियाकर जिलाध्‍यक्ष नीचे दर्शक दीर्घा में जाकर बैठ गये, जिन्‍हें काफी मानमनौवल के बाद वापस बुलाया जा सका।

SP Sammelan1 आसन्‍न लोकसभा चुनाव के मद्देनजर समाजवादी पार्टी की ओर से प्रदेश सरकार की उपलब्‍धियों को रिपोर्ट कार्ड के तौर पर जनता के बीच ले जाने के लिये प्रदेश भर में सपा कार्यकर्ता सम्‍मेलनों के अयोजन के निर्देश दिये गये थे। इनमें मंत्रियों को विशेष रूप से मौजूद रहने के निर्देश थे। मंगलवार को नवीन मंडीस्‍थल में आयोजित सपा कार्यकर्ता सम्‍मेलन में जो कुछ हुआ वह कम से कम पार्टी की मंशा के अनुरूप तो कदापि नहीं कहा जा सकता। SP Sammelan2सम्‍मेलन पूरी तरह से अनुशासनहीनता को पर्याय रहा। छुटभैये नेताओं ने मंच पर कब्‍जा कर लिया। वरिष्‍ठ सपा नेताओं ने मंच से सार्वजनिक रूप से पार्टी पदाधिकारियों व उनकी कार्यशैली के विरुद्ध भड़ास निकाली। एक  दूसरे पर आरोप प्रत्‍यारोप लगे। पार्टी प्रत्‍याशी तक से शिकवे मंच से ही किये गये। कुछ वक्‍ताओं ने तो बसपा शासन काल को सपा से बेहतर करार देने तक से गुरेज नहीं किया।

SP Sammelan3शुरुआत सम्‍मेलन के मंच पर बैठने को लेकर हुई। छुटभैये नेताओं ने मंच पर कब्‍जा कर लिया। सपा जिलाध्‍यक्ष के कई बार अनुरोध करने के बाद भी जब कोई टस से मस नहीं हुआ तो वह भन्‍नाकर स्‍वयं मंच से उठकर दर्शक दीर्घा में जाकर बैठ गये। बाद में काफी मानमनौवल के बाद वह वापस आये, परंतु ढीट कछ छुटभैये फिर भी मंच पर ही डटे रहे।

SP Sammelanपूर्व विधायक उर्मिला राजपूत ने माइक संभाला तो उन्‍होने पार्टी की आंतरिक कलह की मानों बखिया ही उधेड़ कर रख दी। उन्‍होंने कहा कि गलियों और बाजारों में सपा कार्यकर्ता ही पार्टी की खिल्‍ली उड़ाते घूम रहे हैं। उन्‍होंने कहा पार्टी में चर्चायें हैं कि जैसे मुन्‍नू बाबू और छोटे सिंह काम लगाया, वैसे ही अब उर्मिला रजपूत की बारी है। उन्‍होंने कहा कि लोग गलतफहमी में हैं, मैं अटठारह सालों से मुलायम सिंह के राखी बांध रहीं हूं। मेरे शव पर समाजवादी पार्टी का ही झंडा पड़ेगा। उन्‍होंने पार्टी के लोकसभा प्रत्‍याशी सचिन यादव के भी चुटकी लेते हुए कहा कि यदि उनको मुझसे कोई शिकायत है तो वह मुझसे सीधे बात कर सकते हैं, आखिर वह मेरे भतीजे भी हैं और भांजे भी हैं।

उन्होंवने कहा कि उनके भांजे की हत्याल हो गयी। अपराधियों की गिरफ्तारी में मदद तो दूर सपा कोई बड़ा नेता उनके घर संवेदना व्यक्त  करने तक नहीं आया।

दूसरे पूर्व विधायक प्रताप सिंह यादव ने माइक संभाला तो उन्हों ने तो सीधे-सीधे जिलाध्यभक्ष राजकुमार सिंह को ही निशाने पर लिया। उन्होंधने कहा कि सपा सम्मे लन में दो-दो स्थाहनीय मंत्री होने के बावजूद कोई नहीं आया। हद तो यह है कि जनपद में तीन-तीन पार्टी विधायक हैं, उनमें से एक भी यहां मौजूद नहीं है। कायमगंज विधायक के थोड़ी देर के लिये सम्मेंलन में आने पर उन्हों ने चुटकी ली कि आखिर जिस पार्टी ने उन्कों  विधायक बनाया, उसी के लिये आज उनके पास समय नहीं है। यह सब जिलाध्येक्ष का कमजोर अनुशासन है।

उन्हों ने जिलाध्य क्ष पर जिला कार्यकारिणी की घोषणा से पूर्व उनसे कोई सलाह-मश्विपरा न किये जाने का भी विरोध जताया। श्री यादव ने कहा कि आज अगर कायमगंज विधानसभा सीट आरक्षित हो गयी है तो क्या वहां प्रताप सिंह का वजूद नहीं रहा। ऐसा सोचने वाले गलती पर हैं। जब चाहे आजमा कर देख लेना।

लोहिया वाहिनी के पूर्व जिलाध्‍यक्ष चंद्रपाल यादव ने जनपद के विधायकों की अनुपस्‍थिति पर नाराजगी व्‍यक्‍त की। व्‍यवस्‍था और गुटबाजी की ओर इशारा करते हुए उन्‍होंने कहा कि जिले के अधिकारी नेताओं की फूट का मजा ले रहे हैं। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि सपा के 13 महीने के शासन से तो बसपा का शासन ही अच्छाक था। बसपा सरकार में जितना पुलिस उत्पीड़न नहीं हुआ उससे अधिक अब हो रहा है।

पार्टी के लोकसभा प्रत्याशी सचिन यादव माइक पर आये तो उन्हों ने सपा नेताओं की शिकायतों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी समस्यायओं का समाधान होना चाहिये। सभी को बंद कमरे में बैठकर अपने मतभेद दूर करने चाहिये व पार्टी हित में एक जुट होकर काम करना चाहिये। उन्हों ने कहा कि राजनेता अपने उद्देश्य से भटक गये हैं। कई अधिकारी भी सपा विरोधी मानसिकता से काम कर रहे हैं।

सम्मेलन का संचालन समीर यादव ने किया। नदीम फारूकी, हाजी अहमद अंसारी, मनदीप यादव, विश्वांस गुप्ताज, सुषमा जाटव, रामविलास राजपूत, दशरथ पाल, महताब खां, चांद खां, ओमप्रकाश चौहान, नवाब सिंह यादव, राजीव शाक्यं, पुष्पेंद्र यादव, रजत क्रांतिकारी आदि ने भी सम्मेीलन में अपने विचार व्यक्त किये।