FARRUKHABAD : प्रख्यात रार्ष्टवादी चिंतक केएन गोविंदाचार्य ने रविवार को यहां मीडिया से वार्ता के दौरान कहा कि भाजपा सहित सभी प्रतुख राजनैतिक दल सत्ता सुख की लालच में समाजहित और देशहित के मार्ग से पथभ्रष्ट हो गये हैं। इसके निदान के लिये उन्होंने वैकल्पिक राजनीति का एक नयी परिकल्पना को प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि वह कह चुके हैं कि अब कभी भाजपा ही क्या किसी राजनैतिक दल का हिस्सा नहीं बनूंगा, और इस पर आज भी कायम हैं। उन्होंने वैकल्पिक राजनीति की अपनी परिकल्पना के विषय में बताते हुए कहा कि पंचायतों को सीधे चुनाव और बजट में भागीदारी दी जानी होगी। न्यायपालिका में सुधार के लिये कदम उठाने होंगे और चुनाव आयोग को और अधिक शक्तियां देनी होंगी।
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एक स्थानीय कार्यक्रम में भाग लेने आये गोविंदाचार्य ने भाजपा से अपने रिश्तों का खुलासा करते हुए कहा कि भाजपा सहित सहित सभी प्रमुख राजनैतिक दल सत्तालोलुपता और विदेशी ताकतों के प्रभाव में दशहित और समाजहित की मूल भावना से भटक गये हैं। उन्होंने कहा कि विदेशी ताकतों के आर्थिक नीतियों के माध्यम से भारत को नकारात्मक ढंग से प्रभावित करने जैसे कुछ ज्वलंत मुद्दों पर चिंतन के लिये उन्होंने अध्यन अवकाश लिया था। इस अध्यन के पूर्ण होने पर प्राप्त निष्कर्शों के क्रियांवयन के लिये अब वह सतत प्रयत्नशील हैं। उनहोंने कहा कि राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के माध्यम से वह इस दिशा में पूरे देश में अलख जगाने के लिये प्रयत्नशील हैं।
उन्होंने कहा कि ‘पंचायती राज’ को स्थापित हुए 20 वर्ष होने आ गए पर अभी भी केन्द्र सरकार ग्राम पंचायतोंको धान मुहैया कराने पर विचार ही कर रही है। केन्द्र सरकार के अलग-अलगमंत्रालयों में विचारों के आदान-प्रदान की खानापूर्ति ही हो रही है देश में ग्राम पंचायतों का ढांचा हैऔर उन्हें विकास कार्यों के अधिकार भी मिले, परंतु पर्याप्त आर्थिक संसाधनों कीव्यवस्था न करने से ‘पंचायती राज’ का सपना अधूरा ही रह गया। । इससरकारी जंजाल से मुक्ति पाने के गोविंदाचार्य नेकेन्द्रीय बजट से कम से कम 7 प्रतिशत राशि सीधे ग्राम पंचायतों को दिये जाने की मांग रखी। चूंकि आज भी गांवों में लगभग ७०% आबादीरहती है अतः दीजाए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2011-12 में केन्द्रीय बजट 12 लाखकरोड़ रुपये से अधिक का था और देश में 2.5 लाख ग्राम पंचायतें हैं। इसहिसाब से प्रत्येक ग्राम पंचायत को औसत 30 लाख रुपये मिलेंगे जो बजट राशिके साथ प्रतिवर्ष बढ़ते जाएंगे। ग्राम-विकास के क्षेत्र में सफलतापूर्वककाम किए समाजसेवकों के हिसाब से अगर प्रतिवर्ष इतना धन ग्राम-पंचायतों कोमिलने लगे तो वह गावो का कायाकल्प करने के लिए पर्याप्त होगा।
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उन्होंने कहा कि उनके आंदोलन में गंगा, गऊ, भ्रष्टाचार, कालाधन, पंचायतों को अधिकार व न्यायपालिका में सुधार प्रमुख बिंदु हैं। उन्होंने कहा हमें वासुकी नाथ चाहिये- नाग नाथ न सांप नाथ। देश में 17 हजार से अधिक राजनैतक दल पंजीकृत हैं, जिनमें से अधों ने विगत तीन चुनावों में भाग ही नहीं लिया। ऐसे दलों का पंजीकरण समाप्त किया जाना चाहिये। गोवंदाचार्य ने कहा कि अपनी वैकल्पिक राजनीति की अवधारणा के संबंध में वह अन्न हजारे व श्री श्रीरविशंकर जैसे लोगों के साथ निरंतर संवाद में हैं। लगभग साढ़े तीन सौ लोगों, समूहों व पार्टियों को वह चिन्हित कर चुके हैं, जिनका सहयोग इस दिशा में लिया जा सकता है।