दो जिस्‍म एक जान- ये हैं निशक्‍त मंजू और दृष्‍टिहीन दौलत चौहान

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जोधपुर की इंद्रा कॉलोनी (प्रतापनगर) में रहने वाले दंपती मंजू-दौलतराज चौहान वास्‍तव में दो जिस्‍म एक जान की कहावत को चरितार्थ करते हैं। मंजू नि:शक्त हैं, जबकि दौलत दृष्टिहीन। दोनों एक-दूजे की ताकत बने हुए हैं। मंजू बीए पास हैं और एमडीएम अस्पताल में कम्प्यूटर ऑपरेटर हैं। जब वे ड्यूटी पर आती हैं तो दौलतराज साथ रहते हैं। घर से अस्पताल तक स्कूटर मंजू चलाती हैं।

Manju Daulat chauhanअस्पताल पहुंचने पर दौलतराज कंधे पर उठाकर उन्हें सहारा देकर अंदर ले जाते हैं। फिर शुरू होता है संघर्ष का दौर। आठ घंटे तक दोनों साथ बैठते हैं। मंजू ही यहां बोलकर दौलत को अपने केबिन तक का रास्ता बताती हैं। अस्पताल का स्टाफ और अन्य लोग भी उनके हौसले को सलाम करते हैं। मंजू ने 5 जनवरी को ही यहां संविदा आधार पर नौकरी करनी शुरू की है।

मंजू बताती हैं कि शादी के सवाल पर घरवाले डरे पर मुझे दौलत पसंद आए। उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति ने मुझे प्रभावित किया। मैंने निश्चय किया दौलत की आंखों की रोशनी बनूंगी। 2010 में शादी की। उनसे ही नौकरी करने की हिम्मत मिली।  दौलत बताते हैं कि मंजू के साथ मैं दिनचर्या शुरू करता हूं और उससे ही खत्म। कई चुनौतियां आईं पर हिम्मत नहीं हारी! शादी के वक्त मंजू बीए फर्स्ट ईयर में थीं। ससुराल आई तो दौलतराज ने उसे आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रेरित किया। मंजू ने बीए कर लिया। मंजू ने कम्प्यूटर सीखा। नौकरी मिली, लेकिन पहुंचे कैसे, यह सवाल कठिन था। दौलतराज ने स्कूटर खरीदा तो राह आसान हो गई।