हत्यारे कैदी को अस्पताल में मौज कराये जाने की जांच में एडी ने डेरा डाला

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FARRUKHABAD : तकरीबन 14 साल पूर्व शहर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला नुनहाई कटरा निवासी निर्मला चतुर्वेदी पत्‍नी अरविंद चतुर्वेदी की ad dr. veerendra singhदिनदहाड़े फायरिंग कर गोली मार कर हत्‍या कर देने के मामले में सजायाफ्ता कैदी रमाकांत तिवारी को अनुचित रूप से लोहिया अस्‍पताल में भर्ती रखने व अन्‍य सुविधायें मुहैया कराने के मामले की जांच करने आये एडी ने बुधवार को जिला जेल में पहुंचकर कैदी के बयान लिये व चिकित्सकों के भी वयान दर्ज किये। एडी डा. वीरेंद्र सिंह ने सीएमओ कार्यालय में मामले की शिकयत करने वाले जितेंद्र चतुर्वेदी के भी बयान लिये।

विदित है कि पांच नवम्बर 1999 को अरविंद चतुर्वेदी की पत्नी निर्मला चतुर्वेदी को नुनहाई स्थित राज भण्डारण निगम कार्यालय के सामने गोली मार दी गयी थी। जिसमें अरविंद चतुर्वेदी गंभीर रूप से घायल हो गये थे। पीड़ित पक्ष ने मोहल्ले के ही रमाकांत तिवारी तत्कालीन सहायक अध्यापक लिंजीगंज, उसकी पत्‍नी कमलेश तिवारी व उसके भांजे जय शिवनरायन दीक्षित व भतीजे पप्‍पू के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराया था। 23 मई 2011 को रमाकांत तिवारी व जय शिवनरायन को उम्रकैद की सजा सुनायी गयी। पप्‍पू व रमाकांत की पत्‍नी कमलेश का मामला अभी उच्‍च न्‍यायालय में लंबित है।

ad dr. veerendra singh1सजा सुनाने के लगभग एक माह बाद 18 जून 2011 से 23 जुलाई 2011 तक रमाकांत तिवारी लोहिया अस्पताल में भर्ती रहा। उसी समय मृतक निर्मला चतुर्वेदी के पुत्र जितेन्द्र चतुर्वेदी ने उच्चतम न्यायालय में शिकायत की कि जिला जेल के चिकित्‍सक डा. धर्मेंद्र कुमार व लोहिया अस्पताल के तत्कालीन फिजीशियन डा0 एच पी श्रीवास्तव व सर्जन कमलेश शर्मा पैसे लेकर लोहिया अस्पताल में कैदी को सुविधायें मुहैया करवा रहे हैं। प्रकरण की जांच राज्‍य सतर्कता विभाग लखनऊ व केंद्रीय सतर्कता आयुक्‍त (सीवीसी) दिल्‍ली भी कर रहा है। मामले की जांच तब से लगातार चल रही है। उच्च न्यायालय के निर्देश पर 10 अप्रैल 2013 को एडी डा0 वीरेन्द्र सिंह मामले में चिकित्सकों व कैदी के बयान लेने के लिए यहां पहुंचे और उन्होंने जिला जेल पहुंचकर कैदी के बयान लिये। तत्पश्चात सीएमओ कार्यालय में मृतक निर्मला चतुर्वेदी के पुत्र जितेन्द्र चतुर्वेदी के बयान भी दर्ज किये। जिसके बाद एडी ने लोहिया अस्पताल पहुंचकर तीनो चिकित्सकों के वयान भी लिये हैं।

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बताते चलें कि 23 मई 1998 को कैदी रमाकांत तिवारी के 6 वर्षीय पुत्र की बदमाशों ने हत्या कर दी थी। हत्या का आरोप रमाकांत की पुत्री नीतू व जितेन्द्र के भाई अमित चतुर्वेदी पर लगा था। जिसमें दोनो जेल में भी गये थे। जिसके बाद अचानक जितेन्द्र की मां निर्मला व पिता अरविंद चतुर्वेदी पर हमला हो गया जिसमें अरविंद ने हमला करने वालों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था। जिसके बाद अदालत ने रमाकांत व उसके भतीजे जयशिवनरायन को 23 मई 2011 को उम्र कैद की सजा दे दी।

जितेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि रमाकांत तिवारी को ‘हेमीचूरिया'(आंतरिक्‍त रक्‍त श्राव) का मरीज घोषित कर लोहिया अस्‍पताल में एक माह से अधिक समय तक भर्ती रखा गया। जबकि लोहिया अस्‍पताल की ही पैथोलोजी रिपोर्ट के अनुसार हेमीचूरिया की मुख्‍य जांच ‘प्‍लैटलेटस काउंट’ 2 लाख 70 हजार ऊपर निकली थी। जो कि एक स्‍वस्‍थ व्‍यक्‍ति के होते हैं। ‘बीटीसीटी’ (ब्‍लीडिंग टाइम व क्‍लाटिंग टाइम) भी सामान्‍य निकली। मरीज के हीमोग्‍लोबिन की कोई जांच नहीं करायी गयी। यूरिन की जांच व अल्‍ट्रासाउंड की रिपोट्र भी नार्मल निकली। वजन कराया ही नहीं गया। जाहिर है कि उपरोक्‍त चिकित्‍सीय साक्षों से स्‍पष्‍ट है कि कैदी रमाकांत तिवारी को जानबूझकर बिना किसी रोग के लोहिया अस्‍पताल में रखा गया। जिला जेल अधीक्षक ने जितेंद्र चतुर्वेदी को सूचना के अधिकार के तहत मांगी गयी सूचना में बताया गया कि मरीज के केवल पेट दर्द व पेशाब में जलन की शिकायत थी। केवल एक्‍सपर्ट ओपिनियन के लिये भेजा गया था।