शिक्षिका पर लगाया फर्जी प्रमाणपत्रों से नियुक्ति का आरोप

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FARRUKHABAD : चीनी मिल के विद्यालय में नियुक्त शिक्षिका की योग्यता एवं शैक्षिक प्रमाणपत्रों पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए इसी विद्यालय में कार्यरत रहे शिक्षक ने तत्कालीन नियोक्ता एवं वर्तमान प्रधानप्रबन्धक की कार्यशैली को भी कठघरे में लाते हुए जांच कर तत्काल कार्यवाही किये जाने की मांग जिलाधिकारी से की है।
साक्ष्य संल्ग्न कर जिलाधिकारी को प्रेषित पत्र में शिकायत कर्ता नरेश कुमार सिंह निवासी टीचर्स कालोनी नगलादत्तू कायमगंज ने कहा है कि शिक्षिका कुसुम की नियुक्ति किसान सहकारी चीनी मिल द्वारा संचालित स्कूल में मार्च 1987 में तत्कालीन प्रधानप्रबन्धक सांगू ने की थी। जिस पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा है कि शिक्षिका द्वारा प्रथमा,मध्यमा इलाहाबाद से पास किया और वर्ष 1989 में इसी विद्यालय से साहित्य रत्न की पढ़ाई करते हुए पास होना दर्शाकर इसी वर्ष इसी विश्वविद्यालय से बी०एड० की डिग्री भी करना दिखाकर शैक्षिक प्रमाणपत्र प्राप्त कर लिए। उसका कहना है कि एक साथ एक ही समय में दो-दो शिक्षण कोर्स कैसे किये जा सकते हैं।

Teacher3उस पर भी उस विश्वविद्यालय से जिसको बोर्ड द्वारा मान्यता भी नहीं मिली है। फिर भी तत्कालीन प्रबन्धन सांगू ने शिक्षिका को फर्जी डिग्रियों पर ही नियुक्त कैसे कर लिया। शिकायत में कहा गया है कि इस शिक्षिका के पास वास्तव में कक्षा आठ पास का ही सही प्रमाण है। फिर भी वर्तमान प्रधान प्रबन्धक ने आठ पास महिला को कक्षा आठ तक के स्कूल का प्रधानाचार्य प्रमोशन देकर कैसे बना दिया। साक्ष्य के लिए शिकायतकर्ता ने हेडमास्टर बनाई गयीं शिक्षिका द्वारा जांच के समय लिखे एक पत्र को भी संग्ल्गन कर उनकी शाब्दिक गलतियों को सबूत के तौर पर देखने की बात कही। शिकायत पत्र में इसी विद्यालय की दूसरी शिक्षिका सुमन चौहान की नियुक्ति को भी फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर किया जाना बताते हुए उनकी विशारद की डिग्री को फर्जी एवं अमान्य बताया है। विद्यालय में हुई नियुक्तियों के फर्जीबाड़े का सिलसिलेबार विवरण दर्शाते हुए कहा गया है कि इससे पूर्व भी एक अप्रशिक्षित व्यक्ति को नियुक्त किया गया।जो पांच बार इस विद्यालय से हटाया गया और छठवीं बार पुन:विद्यालय में रखकर सेवानिवृत किया गया।

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नरेश कुमार ने पूर्व प्रधानाध्यापक प्रतापसिंह के पत्र का हवाला देकर कहा है कि सूचित करने के बावजूद भी मिलप्रबन्धक ने कई वर्षों का टीसी शुल्क मिल कोष में जमा कराने का कोई ध्यान नहीं दिया। जैसे कई फर्जी कामों का हवाला देकर शिकायतकर्ता ने निष्पक्ष जांच कर दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने की मांग की है।