1 अप्रैल से प्रतिबंध की खबरों के बीच गुटखा प्रेमियों को विकल्प की तलाश

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SHAMSABAD (FARRUKHABAD) : उच्च न्यायालय के आदेशों को ध्यान में रखकर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गुटखे की विक्री पर 1 अप्रैल से पूर्णतः प्रतिबंध लगाये जाने को लेकर जहां एक ओर व्यवसाइयों के चेहरे उतरे हुए हैं। वहीं गुटखा खाने के शौकीन लोगों में यह जानने को लेकर उत्सुकता है कि आखिर गुटखे के स्थान पर बाजार में कौन सा विकल्प होगा। लेकिन अभी तक गुटखा व्यवसायियों से लेकर कोई भी गुटखा प्रेमियों को यह बताने को तैयार नहीं है कि इसका विकल्प क्या gutakhaहोगा। जिसको लेकर लोगों में भ्रम बना हुआ है।

विदित हो कि गुटखा जैसे धीमे जहर की चपेट में आकर न जाने कितने लोग कैन्सर जैसी असाध्य बीमारियों के शिकार होकर काल के गाल में समा गये तो न जाने कितने ही लोग इस धीमे जहर की चपेट में आकर आज भी जिन्दगी और मौत से संघर्ष कर रहे हैं। गुटखे के सेवन से न जाने कितनी मातायें पुत्र विहीन हो गयी है और न जाने कितनी महिलायें विधवा हो गयी हैं। यह असाध्य रोग और किसी की जान का दुश्मन न बने इस लिए इस धीमे जहर के राक्षसी रूप को देखते हुए इसके खात्मे के लिए उच्च न्यायालय ने प्रतिबंधित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को भी आदेशित किया था।

न्यायालय के आदेशों को ध्यान में रखते हुए एक अप्रैल से गुटखा विक्री पर भी प्रतिबंध लगाने का फैसला कर प्रतिबंध हेतु सम्बंधित सम्बंधित प्रशासनिक अधिकारियों को आदेश दे दिये हैं। 1 अप्रैल से गुटखा पर प्रतिबंध लगाने की खबरों से क्षेत्र के ठिलिया दुकानदारों से लेकर परचून दुकानदारों तक मायूसी छा गयी है। लोगों का कहना है कि अभी तक गुटखा की विक्री से रोजी रोटी कमाने वाले अब बेरोजगार हो जायेंगे।

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वहीं दूसरी तरफ सम्भ्रांत लोगों ने इस फैसले की प्रशंसा करते हुए कहा है कम से कम धीमे जहर से होने वाली मौतों से निजात मिलेगी, रोजी रोटी के लिए अन्य भी कई माध्यम तलाशे जा सकते हैं। इसके साथ ही गुटखा शौकीनों का मानना है कि यदि सरकार तम्बाकू पर प्रतिबंध लगा रही है तो व्यवसायिक कंपनियां इसका विकल्प जरूर कोई न कोई निकाल ही लेंगीं। लेकिन अब देखना यह है कि तम्बाकू प्रतिबंध के बाद दूसरा विकल्प किस रूप में होगा।