गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे और ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं. यह त्यौहार ईसाई धर्म के लोगों द्वारा ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाने के कारण हुई मृत्यु के उपलक्ष्य में मनाया है. यह त्यौहार पवित्र सप्ताह के दौरान मनाया जाता है, जो वास्तव में प्रेम, क्षमा अैर बलिदान का संदेश देता है।
कहा जाता है कि जब धरती पर मनुष्य पथभ्रष्ट होने लगा, धर्म के नाम पर हिंसा, आतंक, भ्रष्टाचार, अत्याचार और अंधविश्वास बढ़ गया तब परमेश्वर को शांति और प्रेम के लिए यीशु को अपने पुत्र के रूप भेजना पड़ा और यीशु ने कांटों का ताज पहन कर, सूली पर चढ़कर मानवता की सीख दी। ईसा के पुनरुत्थान के तीन दिन पूर्व पड़ने वाले शुक्रवार को गुड फ्राइडे के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भक्तगण उपवास के साथ प्रार्थना और मनन करते हैं. चर्च एवं घरों से सजावट की वस्तुएं हटा ली जाती हैं या उन्हें कपडे़ से ढक दिया जाता है. गुड फ्राइडे की तैयारी प्रार्थना और उपवास के रूप में चालीस दिन पहले ही प्रारम्भ हो जाती है. इस दौरान शाकाहारी और सात्विक भोजन पर जोर दिया जाता है. गुड फ्राइडे के दिन ईसा के अन्तिम सात वाक्यों की विशेष व्याख्या की जाती है जो क्षमा, मेल-मिलाप, सहायता और त्याग पर केन्द्रित हैं.
बाइबिल में उल्लेख है कि एक विद्वान ने ईसा से पूछा, गुरुवर, अनन्त जीवन प्राप्त करने के लिए मुझे क्या करना होगा? ईसा ने उससे कहा, ईश्वर को अपने हृदय, आत्मा और सारी शक्ति से प्यार करो और अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो. तब उस व्यक्ति ने एक और प्रश्न किया, लेकिन मेरा पड़ोसी कौन है? ईसा ने कहा, किसी भी समय वह जरूरतमंद और लाचार व्यक्ति जो तुम्हारे सामने है, वही तुम्हारा पड़ोसी है.
रोमन कैथोलिक चर्च गुड फ्राइडे को उपवास दिवस के तौर पर मानता है, जबकि चर्च के लैटिन संस्कारों के अनुसार एक बार पूरा भोजन हालांकि वह नियमित भोजन से कम होता है और अक्सर उसमें मांस के बदले मछली खायी जाती है और दो अल्पाहार लिया जाता है. रोमन रीति के अनुसार सामान्यतः पवित्र बृहस्पतिवार की शाम को प्रभु के भोज के उपरांत कोई मास उत्सव नहीं होता जब तक कि ईस्टर निगरानी की अवधि बीत न जाये. प्रभु ईसा मसीह के स्मरण में भोज का कोई उत्सव नहीं होता और वह केवल सर्विस के दौरान भक्तों में वितरित किया जाता है.
पूजा वेदी पूरी तरह से खाली रहती है और क्रॉस, मोमबत्ती अथवा वस्त्र कुछ भी वहां नहीं रहता. प्रथा के अनुसार ईस्टर निगरानी अवधि में जल का आशीर्वाद पाने के लिए पवित्र जल संस्कार के पात्र खाली किये जाते हैं. ईस्टर निगरानी की अवधि के दौरान गुड फ्राइडे अथवा पवित्र शनिवार को घंटियाँ नहीं बजाने की परम्परा है.
पैशन ऑफ़ द लॉर्ड के उत्सव का आदर्श समय अपराह्न तीन बजे है. इस समय पादरी के पहनावे का रंग लाल होता है. उन्नीस सौ सत्तर से पहले पहनावे का रंग काला होता था, केवल कम्यूनियन वाला हिस्सा बैगनी रंग का होता था. उन्नीस सौ पचपन से पहले पूरा पहनावा ही काला होने का विधान था. अगर कोई बिशप यह अनुष्ठान संपन्न करता है, वह एक सादा मुकुट पहनता है. प्रार्थना के तीन भाग होते हैं- बाइबल और धर्म ग्रंथों का पाठ, क्रॉस की पूजा और प्रभु भोज में सहभागिता.
बाइबल पाठ के पहले भाग में प्रभु यीशू के प्रति प्रेम और गुणगान की आवृत्ति या गायन होता है जो अक्सर एक से अधिक पाठकों या गायकों द्वारा किया जाता है. इस प्रथम चरण में प्रार्थना की एक श्रृंखला होती है जो चर्च, पोप, पादरी और चर्च में आने वाले गृहस्थों, प्रभु यीशु मसीह में विश्वास नहीं करने वालों, भगवान पर विश्वास नहीं करने वालों, सार्वजनिक कार्यालयों में काम करने वालों और विशेष तौर पर जरूरतमंद लोगों के लिए की जाती है.
गुड फ्राइडे के त्यौहार के दूसरे चरण में क्रॉस की पूजा की जाती है. एक क्रूसीफिक्स जिसमें एक खास पारम्परिक ढंग से यीशु के लिए गीत गाये जाते हैं. हालांकि यह जरूरी नहीं है फिर भी यह धार्मिक समागम आम तौर पर वेदी के पास होता है, जिसमें सत्य और निष्ठा के साथ सम्मान व्यक्त किया जाता है और खास तौर पर व्यक्तिगत रूप से जब प्रभु यीशू के प्रति प्रेम भाव के गीत गाये जा रहे हों.
इसका तीसरा भाग होता है पवित्र प्रभु भोज का, जो इस त्यौहार की अंतिम कड़ी है. यह शुरू होती है आवर फादर के साथ लेकिन “रोटी तोड़ने की रस्म” और इससे संबंधित मंत्र का उच्चारण नहीं किया जाता. पवित्र गुरुवार की प्रार्थना सभा में अभिमंत्रित प्रभु प्रसाद को भक्तों में वितरित किया जाता है.