शमसाबाद (फर्रुखाबाद): लाखों की लागत से ग्रामीण इलाकों में बनवाये गये माडल तालाब प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी के चलते शोपीस बने हुए हैं।जन प्रतिनिधि खबर के बावजूद भी बेखबर हैं। कहा जाता है कि जिस गांव के इर्द गिर्द तालाब होते हैं वो आम जन मानुस के साथ साथ किसानों, पशु एवं पक्षियों के लिए भी अति उपयोगी होते हैं। सरकार ने भी इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में तालाबों का निर्माण कराकर उन्हें सुन्दरता प्रदान करते हुए माडल तालाब का नाम दिया था।
इसी के तहत जनपद के अलावा विकास खण्ड[bannergarden id=”8″] शमसाबाद में भी ग्रामीण इलाकों में तालाब खुदवाये गये। जिन्हें भव्यता प्रदान करने के लिए ग्रामीण स्तर पर मुख्य गेट और चारो ओर बैरीकेटिंग साथ ही भ्रमण करने वालों के लिए बैठने के स्थान पर स्लीपर भी बनवाये गये थे। मगर अफसोस है कि इन भव्य तालाबों की सूरत से बदसूरत होती देखी जा रही है। इन तालाबों में सत्तर फीसदी तालाब ऐसे हैं जिन्हें सूखा हुआ वर्षों से देखा जा रहा है। कुछ तो तालाब ऐसे हैं जिन्हें माडल तालाब का दर्जा मिलने के बाद आज तक पानी नसीब नहीं हुआ है।
ये तो भगवान इन्द्रदेव की मेहरबानी है जो कहीं कहीं आज भी थोड़ा बहुत पानी देखने को मिल रहा है। जानकारी में बताया गया है कि क्षेत्र के 78 ग्राम सभाअें में बनवाये गये तालाबों में सत्तर फीसदी सूखे पड़े हैं। जिनमें आज तक पानी नहीं भरवाया गया है। आजकल ऐसे तालाब जहां पशु पक्षियों के लिए गर्मी के मौसम में मौत का सबब बने हुए हैं तो दूसरी ओर भूगर्भ जलस्तर अभी से कम होने का अंदेशा जताने लगा है। [bannergarden id=”11″]
तालाबों को लेकर ग्रामीण क्षेत्र के बुजुर्ग बताते हैं कि तालाबों का हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में एक विशेष महत्व है। क्योंकि जहां तालाब होते हैं वहां का भूगर्भ जल स्तर सामान्य रहता है। इसके अलावा छोटे मोटे किसान अपनी फसलों की सिंचाई इन्हीं तालाबों से करते हैं। भीषण गर्मी में प्यास से बेहाल पक्षी जो यहां आकर अपनी प्यास ही नहीं बुझाते वल्कि पानी पीकर ठन्डक का भी एहसास करते हैं। कृषि क्षेत्र में किसानों के दो हाथ कहे जाने वाले जानवर बैल,भैंस भी इन्हीं तालाबों से अपनी प्यास बुझाते और स्थान की ताजगी का अहसास करते हैं। विगत वर्षों पूर्व फर्रुखाबाद के पूर्व जिलाधिकारी ने इन तालाबों का निरीक्षण कर रजलामई के माडल तालाब को जिले का सर्वोच्य माडल तालाब बताया था। यहां तक कि उन्होंने तालाब में पानी भी भरवाये जाने के आदेश दिये थे। माडल तालाबों की दुर्दशा कहीं भी देखी जा सकती है।इन तालाबों की सुन्दरता में चार चांद लगाने वाले बैरीकेटिंग व बैठने के लिए स्थान विलुप्त से दिखाई दे रहे हैं।
इधर जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता बरतते हुए अनदेखी कर रहे हैं, जिससे यह तालाब अपनी पहचान खोते जा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर ग्राम दलेलगंज में स्थित माडल तालाब को देखकर अन्दाजा लगाया जा सकता है कि हमारे जनप्रतिनिधि और प्रशासन इस कार्य के लिए कितने सक्रिय हैं। देखकर जाना जा सकता है क्योंकि इन तालाबों को देखकर प्यास बुझाने की आस लेकर आने वाले पशु पक्षी भी बेहाल होकर इधर उधर भटकते देखे जा रहे हैं।
सूखे तालाबों की दुर्दशा को देखकर समाजसेवी लोगों यशवन्त सिंह, प्रकाश सिंह गंगवार, संजीव कुमार, जितेन्द्र गंगवार सहित तमाम लोगों ने चिन्ता जताते हुए प्रशासन से मांग की है कि बदलते मौसम को देखते हुए सूखे तालाबों में पानी भरवाया जाये। जिससे निकट भविष्य में भीषण गर्मी से बेहाल होने वाले पशु पक्षी अपनी प्यास बुझा सके। अगर प्रशासन ने अनदेखी की तो आने वाले दिनों में प्यास से बेहाल होकर मौत के मुहं में समाने वाले पशु पक्षियों के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और प्रशासन होगा।