नई दिल्ली : मुलायम सिंह यादव के खिलाफ केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के बयान पर एक तरह से अपने रुख को नरम करते हुए सपा ने केंद्रीय मंत्री की आलोचना की, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के हस्तक्षेप के बाद इस मुद्दे पर जल्दबाजी में कुछ नहीं करने का निर्णय किया। सपा संसदीय दल की बैठक में सांसदों ने मुलायम को पार्टी हित में कोई निर्णय लेने के लिए अधिकृत कर दिया। डीएमके के समर्थन वापसी के बाद सपा यूपीए के लिए मजबूरी बन गई है।
करीब एक घंटे तक चली सपा संसदीय पार्टी की बैठक में कई सांसदों ने यादव के खिलाफ उस टिप्पणी के लिए वर्मा की निंदा की, जिसमें केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि वह (मुलायम) कमीशन लेकर संप्रग को समर्थन देते हैं। मुलायम का विचार यह रहा कि चूंकि सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वर्मा की टिप्पणी मामले में व्यक्तिगत तौर पर हस्तक्षेप किया है, इसलिए पार्टी को इसके परिणाम का इंतजार करना चाहिए। सपा संसदीय दल की बैठक में यह भी निर्णय किया गया कि वह विनियोग विधेयक और आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक पारित करने में बाधा उत्पन्न नहीं करेगी।
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हालांकि राजनीतिक हलको में यह भी चर्चा की जा रही है कि मुलायम सिंह यादव और मायावती को डर दिखाने के लिए ही सीबीआई से स्टालिन के घर पर पांच साल पुराने मामले में छापा मरवाया गया है। हालांकि कांग्रेस इस बात से इनकार करते हुए सीबीआई छापे की निंदा भी कर रही है। साथ चिदंबरम के बयान के बाद ही सीबीआई टीम वापस आ गई, इससे इन आरोपों को भी बल मिला है कि केंद्र सरकार अपने हिसाब से सीबीआई का इस्तेमाल करती है। माना जा रहा है कि सीबीआई के डर से यूपी के दिग्गज कांग्रेस को समर्थन देना जारी रखेंगे।
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