विश्वविद्यालय परीक्षायें शुरू, ग्रामीण क्षेत्रों में खुले नकल के कारखाने

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STUDENT STUDENT1FARRUKHABAD : जनपद में जहां एक तरफ यूपी बोर्ड परीक्षाओं में नकलची हाथ साफ करने से नहीं चूक रहे हैं वहीं विश्वविद्यालय परीक्षाओं में तो ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित महाविद्यालयों में नकल के कारखानें ही खोल दिये गये हैं। नकल के ठेकेदार छात्र छात्राओं से निश्‍चित व निर्धारित वसूली करने के बाद नकल करने की सामूहिक रूप से छूट दे रहे हैं। आखिर छात्रों की भी मजबूरी है कि जब हाईस्‍कूल व इंटर नकल से पास किया तो स्‍नातक की परीक्षा बिना नकल के कैसे दे सकते हैं। उस पर मेरिट पर होने वाली भर्तियों में अपने बच्‍चों के चयन के लिये अभिवावक भी जेब खोल कर पैस लुटा रहे हैं, और मोटा हो रहा है जनपद का नकल माफिया।

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बीते 12 मार्च से ही जनपद में विश्वविद्यालय परीक्षायें शुरू हो गयीं। नकल की आस में छात्र छात्राओं का रुझान ग्रामीण क्षेत्रों के महाविद्यालयों में ज्यादा देखा जा रहा है और हो भी क्यों नहीं इन ग्रामीण महाविद्यालयों में 1500 से 3000 रुपये लेने के बाद छात्र छात्राओं को नकल करने की खुली छूट दी जा रही है। इतना ही नहीं इन छात्रों से नकल के ठेकेदार अलग अलग रेट तय कर रहे हैं अगर 2000 रुपये कोई छात्र देता है तो उसे स्‍वयं नकल करने की पूरी छूट दी जाती है यदि छात्र 6 हजार रुपये तक खर्च करने की हैसियत रखता है तो उसे कापी लिखने की भी झंझट नहीं रहती। फिर यही ठेकेदार कापी लिखने का भी ठेका ले लेते हैं।  इतना ही नहीं इन विद्यालयों में हाजिरी की भी कोई झंझट नहीं रही। पूरे वर्ष छात्र छात्रायें कहीं रहे हों लेकिन अब बस उन्हें अपनी कापी लिखनी मात्र है बस हो गये स्नातक डिग्रीधारक मुन्‍ना भाई तेयार। यह खेल में खुलेआम चल रहा है।

विद्यालय प्रबंधक नकल के लिये पूरी तैयारी रखते हैं। अव्‍वल तो प्रशासन से लेकर विश्‍वविद्यालय तक पूरी सेटिंग रहती है। यदि कोई सचल दल छापा मारने पर उतारू ही हो जाये तो उसके लिये इंतजाम रहता है। पहले तो विद्यालय एसे स्‍थानों पर बनाये जाते हैं, जहां आने वाले किसी भी वाहन को दूर से ही देखा जा सके। विद्यालय तक आने वाली सड़क को जानबूझ कर इतना खराब रखा जाता है कि किसी चार पहिया वाहन को 20 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्‍पीड से अधिक पर चलाया न जा सके। किसी संदिग्‍ध वाहन के कालेज की ओर आते देख दूर से ही छत या किसी उपयुक्‍त स्‍थान पर तैनात विद्यालय कर्मी अंदर चल रहे नकल के कारखाने में खतरे की घंटी बजाने की सूचना दे देता है। विद्यालय के कक्ष निरीक्षक सीट दर सीट बोरा लेकर जाते हैं और परीक्षार्थियों के पास मौजूद किताबे व गाइडें उसमें भर कर किसी सुरक्षित स्‍थान पर रख देते हैं। सचल दल के पीठ मोड़ते ही नकल कारोबार पूर्ववत फिर शुरू हो जाता है।

वहीं बुधवार को जनपद के शहर क्षेत्र के महाविद्यालयों में सघन तलाशी के बाद ही छात्रों को अंदर जाने दिया गया। विश्वविद्यालय परीक्षाओं में बुधवार को बीए प्रथम वर्ष मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र, शिक्षाशास्त्र,बीए द्वितीय वर्ष हिन्दी द्वितीय प्रश्नपत्र, बीए तृतीय वर्ष हिन्दी द्वितीय प्रश्नपत्र, बीकाम प्रथम वर्ष की बिजनेस कम्युनिकेशन की परीक्षायें सम्पन्न करायी गयीं।