लखनऊ: संगठन को लेकर भाजपा आखिर पुराने ढर्रे पर लौटने को मजबूर हुई। बैलेट के जरिए पदाधिकारी चुनने का फार्मूला बडे़ नेताओं से जुड़े जिलों में नहीं चल सका तो शेष जिला व मंडल अध्यक्षों को सीधे मनोनीत करने का फैसला किया गया है। ऐसे जिलों की तादात लगभग दो दर्जन है जबकि मंडलों की संख्या पौने दो सौ से ज्यादा है, जहां अध्यक्षों की नियुक्ति प्रदेश स्तर से होगी।
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बैलेट से अध्यक्ष चुनने के लिए ‘बड़ों’ को मनाने में नाकाम नेतृत्व ने 25 मार्च तक जिलों व मंडलों का गठन पूरा करने को कहा है। प्रदेशीय पर्यवेक्षक की उपस्थिति में अध्यक्ष के तीन संभावित नामों की सूची तैयार की जाएगी। जिस पर क्षेत्रीय अध्यक्षों से चर्चा के बाद एक नाम को फाइनल किया जाएगा।
संगठन में आमराय न हो पाने का संकट अधिकतर बड़े नेताओं से संबंधित क्षेत्रों में है। मसलन पूर्व अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी के बनारस में जिला एवं महानगर दोनों संगठन लटके है। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के अलीगढ़, केशरीनाथ त्रिपाठी के इलाहाबाद, सांसद योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर एवं वरुण गांधी के पीलीभीत जिले में जिलाध्यक्ष पद का चुनाव नहीं हो सका। संगठनात्मक दृष्टि से 90 जिलों में से 66 पर ही निर्वाचन हो सका।
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बूथ प्रबंधन को प्राथमिता : संगठन की प्राथमिक इकाई भले ही वार्ड व पंचायत हो परन्तु बूथ प्रबंधन पुराने फार्मूले पर ही होगा। प्रत्येक बूथ पर प्रशिक्षित कार्यकर्ता तैनात किए जायेंगे और यह काम 30 अप्रैल तक अनिवार्य रूप से निपटाना होगा। यह जिम्मेदारी क्षेत्रीय अध्यक्षों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। सहयोग न करने वाले जिला व मंडल अध्यक्षों पर कार्रवाई होगी। गत विधानसभा चुनाव में गड़बड़ाए बूथ मैनेजमेंट को दुरस्त करने को प्रकोष्ठ जल्द ही गठित किया जाएगा।
दीपक मार्च 16 को लखनऊ में : गठन के साथ ही संगठन की सक्रियता बढ़ाने को लगातार कार्यक्रम होंगे। इसकी शुरुआत लखनऊ में 16 मार्च को महिलाओं के दीपक मार्च से होगी। जिसमें सुषमा स्वराज सहित कई केंद्रीय नेता भाग लेंगे। आंदोलन सफल बनाने को जिलों में प्रभारी तैनात किए है। छह अप्रैल को भाजपा के स्थापना दिवस पर जिलों में सक्रिय कार्यकर्ता सम्मेलन होंगे। अंबेडकर जयंती 14 अप्रैल को समरसता दिवस के रूप में मनाया जाएगा। मई से गांव चलो अभियान आरम्भ करने की योजना है।