ईश्वर के बताये मार्ग पर चलकर अपने जीवन को सभ्य बनायें लोग: सतीश दीक्षित

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B K MANJU B K MANJU1FARRUKHABAD : शिवरात्रि के उपलक्ष में प्रजापिता ब्रहम कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय बीबीगंज के सर्चलाइट भवन में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे श्रम संविदा बोर्ड के अध्यक्ष सतीश दीक्षित ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि यदि हम चाहें तो ईश्वर के बताये मार्ग पर चलकर अपने जीवन को सभ्य एवं पवित्र बना सकते हैं।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे श्री दीक्षित ने कहा कि शिवरात्रि का दिन असत्य व अशुभ व असुन्दर को समाप्त करने तथा मन को जीतने की भी रात्रि है। प्रत्येक व्यक्ति इन अवगुणों को समाप्त करने के प्रयत्न में रहता है। यदि हम चाहें तो ईश्वर के बताये मार्ग पर चलकर अपने जीवन को सभ्य एवं पवित्र बना सकते हैं। उन्होंने ब्रह्मकुमारी विश्वविद्यालय के विषय में बोलते हुए कहा कि संस्था में व्यसन, मनोविकार एवं छुआछूत की बातों से अलग होकर एक पवित्र जीवन जीने की कला को सिखाकर एक नया आयाम हासिल किया है।

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बैठक में विशिष्ट अतिथि के रूप में पहुंचे डा0 अनार सिंह यादव ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि परम पिता परमात्मा शिव के अनावरण की कोई तिथि निश्चित नहीं है परन्तु आज सभी देवी देवताओं की जन्म तिथि होती है क्योंकि वह निराकार है। कब अवतरित होता है यह कोई नहीं जानता।

श्री यादव ने कहा कि वर्तमान युग में आचरण के प्रति बहुत b.k shobha bahan swaroopही ध्यान देने की आवश्यकता है। आज के पहनावे पर भी जोर दिया और कहा कि पहनावा भ्रष्टाचार का प्रथम मार्ग है। इस दौरान डा0 पुष्पा सूद, अरुण प्रकाश तिवारी ददुआ, पप्पन मियां, सुरेशचन्द्र गोयल, बीके मंजू के अलावा कुमारी श्रुति शाक्य, पूर्व सांसद छोटे सिंह यादव, रामप्रकाश अग्रवाल, ग्रीशचन्द्र कटियार, बीके देव प्रकाश, राम रानी, धनश्री, जयदेवी, कुसमा आदि मौजूद रहे।

जटवारा जदीद आश्रम पर भी श्रद्धालुओं ने खूब मनायी शिवरात्रि
प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय ओम निवास जटवारा जदीद पर महा शिवरात्रि के उपलक्ष में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि सुनील चन्द्र श्रीवास्तव कोआपरेटिव बैंक के मैनेजर ने दीप प्रज्वलन व फीता काटकर आयोजन का शुभारंभ किया। इस दौरान केन्द्र प्रभारी बीके शोभा ने कहा कि चारो युगों को मिलाकर एक सृष्टि चक्र होता है, जिसमें मनुष्य के उत्थान पतन की पूरी कहानी नाटक की तरह होती है। उन्होंने कहा कि भगवान ओम शब्द परमात्मा के वाचक हैं। तीनो अक्षर उत्पत्ति, पालना व विनाश के भी वाचक हैं। मस्तक पर त्रिपुण्ड लगाते हैं, तीन पत्तियां, बेलपत्र ये सभी त्रिमूर्ति द्योतक हैं। 77वीं जयंती मना रहे ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा बैकुण्ठ सुखधाम की स्थापना परमात्मा स्वयं कर रहे हैं। कार्यक्रम में विद्यालयों की छात्राओं ने भी हिस्सा लिया। इस दौरान उर्मिला राजपूत, डा0 अनीता चटवाल, बाबू सिंह यादव, सुनील श्रीवास्तव, शोभा बहन, विष्णु अरोरा, संजय गर्ग, निमिष टण्डन आदि मौजूद रहे।