फर्रुखाबाद: बेबर रोड स्थित शारदा शीतगृह में दोपहर बाद लगी आग से लाखों का नुकसान तो हुआ ही वहीं दो मजदूर आग बुझाने के दौरान घायल हो गये। लेकिन आग लगने के दौरान एक बात तो साफ हो गयी कि शीतगृह में न ही कोई अग्निशमन यंत्र लगाया गया और न ही वर्षों से एनओसी ही ली गयी।
यह ग्रामीण मजदूरों, पल्लेदारों व अन्य कर्मचारियों के जीवन से खिलवाड़ नही तो और क्या है जो व्यापारी करोड़ों रुपये लगाकर कोल्ड स्टोरेज का कारोबार करते हैं वह यह क्यों भूल जाते हैं कि इसमें काम करने वाले मजदूरों का भी अपना परिवार है। गरीब हैं तो क्या हुआ, चार पैसे कमाने के इरादे से कोल्ड स्टोरेज में बोझा ढोते हैं। शारदा कोल्ड स्टोरेज की मशीनरी स्टोर में अगर नजर डालें तो चौंकाने वाला सच सामने आता है। करोड़ों की लागत से बना कोल्ड स्टोरेज ऊपर से तो रंग रोगन करके चकाचक कर दिया गया है। लेकिन अंदर से सुरक्षा के नाम पर कोल्ड स्टोरेज कितना सुरक्षित है यह तो देखने से पता चलता है। सुरक्षा के अलावा कानूनी तौर पर भी अवैध रूप से चलाया जा रहा है।
[bannergarden id=”8″]
मशीनरी स्टोर में महज एक अग्निशमन यंत्र है। जिसके जिम्मे पूरे शीतगृह व उनके कर्मचारियों की आग से बचाने की जिम्मेदारी है। वह भी वर्षों से ठीक नहीं किया गया। मजे की बात तो यह है कि जिन शीतगृहों को इस सम्बंध में फायर विभाग अनापत्ति प्रमाणपत्र उपलब्ध कराता है जिसके बाद आलू विकास अधिकारी निरीक्षण के बाद नीवीनीकरण प्रमाणपत्र दिया जाता है। लेकिन शारदा कोल्ड के अलावा कई ऐसे कोल्ड स्टोरेज हैं जिनमें इस तरह की प्रक्रियाओं को दूर रखा गया है। फायर विभाग से कोई भी एनओसी शारदा कोल्ड के पास नहीं है। ऐसे में फिर कोल्ड स्टोरेज को चलने की इजाजत कैसे मिल गयी है। यह बात तो हजम नहीं हुई। कोल्ड के मालिक प्रदीप रस्तोगी से इस सम्बंध में पूछा गया तो वह बगलें झांकते नजर आये। फिलहाल बगैर मानक के चल रहे इस कोल्ड को लेकर प्रदीप रस्तोगी कितने चिंतित हैं यह तो साफ हो गया है।
इस सम्बंध में आलू विकास अधिकारी एम सी भारती ने बताया कि जनपद में कुल 63 शीतगृह हैं। जिनमें मात्र 52 के अभी नवीनीकरण के लिए आवेदन आये हैं। शारदा कोल्ड के विषय में बताने पर उन्होंने बताया कि मामले की जांच करायी जायेगी।