FARRUKHABAD(कायमगंज): नगर के पूर्व माध्यमिक विद्यालय काजम खां में इस्लाहे मआशरा कांफ्रेन्स का आयोजन किया। इस दौरान उल्मा-ए-कराम ने लोगों को बुराइयों के खिलाफ लाम्बन्द करते हुए उनसे बुराइयां त्यागने और अच्छाइयों और नेकी की राह पर चलने की बात कही।
शनिवार की रात को इस्लाहे मआशरा कांफ्रेन्स की इत्तदा हाफिज तन्जीम ने तिलावते कुरान पाक से की। तिलावते कुरान पाक के बाद हाफिज मोहम्मद शाहिद ने बारगाहे रिसालत मआव में नाते पाक का नजराना पेश किया। इसके बाद कन्नौज से आये वक्ता मौलाना हाफिज नूरएन ने लोगों से खिताब करते हुए फरमाया कि आज की दुनिया में हर तरफ बुराइयों की दहशत फैली हुयी है। बुराईयो से परेशानी का इजहार तो हर आदमी करता नजर आता है। लेकिन बुराइयों के असबाब तलाश करके उन्हें दूर करने की ईमानदाराना कोशिश करता कोई भी नजर नहीं आता। यही वजह है कि बुराइयां कसरत से फैल रही हैं। उन्होंने कहा कि बुराइयां फैलने की अस्ल वजह लोगों के दिलों से खुदा का खौफ निकल गया है और दुनिया दीन से दूर हो गयी है। उन्होंने अपनी बात आगे रखते हुए कहा कि कुरान पाक में कहा गया है कि नमाज अपने पढ़ने वाले को बुराइयों और वेहयाई से बचाती है। आप नमाजों की पाबंदी करना शुरू कर दें। बुराइयां खत्म होना शुरू हो जायेगीं। वहीं मुफ्ती नूरूद्दीन ने कांफ्रेन्स में मौजूद लोगों को मुखातिब करते हुए कहा कि आज मआशरे में एक बड़ी कमजोरी यह आ गयी है कि हर तरफ लोगों में इख्तिलाफ फैला हुआ है। लोग ईमानदारी से इस्लाहे मआशरा करने के वजाये मसलकी बहसों में उलझे हुए एक दूसरे की टांगें खींचने में लगे हुए हैं। उन्होंने लोगों से कुरान और सुन्नत के मुताबिक एक बनकर और नेक बनकर उठने की अपील करते हुए कहा कि दुनिया से बुराइयां मिटाना और भलाइयों को कायम करना मुसलमानों की मौजूदा दौर में जिम्मेदारी है। बाहर से आये मुफ्ती तन्जीफ अहमद साहब ने लोगों को मुखातिब करते हुए कहा कि हमारे घरों से दीन निकल गया है। अपने घरों में दीन कायम करें। अपनी बीवीयों, बेटियों के साथ अच्छा सुलूक करें। औरतें अपने शौहरों की वफादार और शुक्रगुजार बनें। घरों से और दिलों से बेदीनी दूर करके घरेलू माहौल पाक साफ व दीनदार बनायें। लेकिन दीन को मानने के लिए दीन का जानना जरूरी है। बिना जानें और समझे क्या मानेगें और किसकों मानेगें। आज कौम तालीम से बहुत दूर चली गयी है। इसीलिए कौम की हालत पस्त हो रही है। उन्होंने कहा कि इल्म हासिल करो क्योंकि इल्म हासिल करना हर मुसलमान मर्द और औरत पर फर्ज है। बिना इल्म के न तो मआशरे की इस्लाह हो सकेगी और न तरक्की। कांफ्रेन्स का संचालन मास्टर सुहेल खां ने किया। इस दौरान खलील अहमद, कमर अहमद, नाजिम खां, आविद खां, तारिक हुसैन, डा0 शकील, मोहम्मद यूसुफ, वसीमुद्दीन फरीदी, सम्मू खां, शाबेज खां, शीलू, लालू, अच्छन खां, अकील खां आदि लोगों का विशेष योगदान रहा।