प्रधान और एनजीओ नहीं हड़प कर पाएंगे रसोइये का मानदेय

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उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबी मिड डे योजना की बदनामी और केंद्र से लगातार मिल रही फटकार के बाद उत्तर प्रदेश मध्याह भोजन प्राधिकरण ने भ्रष्टाचार से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाने शुरू कर दिए हैं| प्रदेश के डेढ़ लाख बेसिक शिक्षा के नियंत्रण वाले स्कूलों में मिड डे मील की प्रतिदिन हर स्कूल की रिपोर्टिंग के बाद अब प्राधिकरण ने रसोइयों को मिलने वाले वेतन में घालमेल करने वाले प्रधानो और एन जी ओ पर शिकंजा कसने के लिए रसोइयों को भोजन बनाने के बदले में मिलने वाली मजदूरी/मानदेय सीधे उनके बैंक खाते में भेजने का फैसला किया है|

इ-गवर्नंस का प्रयोग

प्राधिकरण ने इ-गवर्नेंस का प्रयोग किया है| इसके तहत प्रदेश के हर मिड डे मील रसोइये के बारे में जानकारी और उनका बैंक खता संख्या वेबसाइट पर लोड कराया जा रहा है| प्राधिकरण के अपर निदेशक संतोष कुमार ने इस बाबत प्रदेश के हर बेसिक शिक्षा अधिकारी को 31 अगस्त तक काम पूरा करने का फरमान जारी किया है|

लक्ष्य मिलने में संदेह

उत्तर प्रदेश मध्याह भोजन प्राधिकरण इस काम को सुचारू रूप से कर पायेगा इस बाबत संदेह है| क्यूंकि जिलों में कार्यरत बेसिक शिक्षा के बाबु और सहायक बेसिक अधिकारी का काकस इस योजना पर पानी फेर ही देगा| वैसे भी मध्याह भोजन योजना में जो शिक्षक स्कूल नहीं जाते वो लगातार फर्जी रिपोर्टिंग करते है या फिर नहीं करते है. इन्हें पकड़ने की मशीनरी परियोजना के पास नहीं है| वैसे ही जिलों में अभी तक रसोइयों के चयन का काम 3 महीने में 50 फीसदी पूरा नहीं हो पाया है ऐसे में कैसे काम पूरा होगा? ज्यादातर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारिओं को वैसे भी उन कामो में रूचि नहीं होती जिसमे उन्हें कोई अतिरिक्त आमदनी न दिख रही हो| फर्जी रिपोर्टिंग और अन्क्देबजी में फासी उत्तर प्रदेश की प्रारंभिक शिक्षा दम तोड़ रही है|