फर्रुखाबाद: उत्तरप्रदेश में प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती के लिए काउंसलिंग की कट आफ घोषित होते ही ऑन लाइन भर्ती प्रक्रिया की कलई खुल गयी है. कट आफ के बाद जारी की गयी पूरी मेरिट की गड़बड़ियों को देखते हुए अब कई जिलों ने कट आफ लिस्ट को ही वेबसाइट से हटा लिया है, सिर्फ कट आफ प्रतिशत को ही विज्ञप्ति के रूप में जारी कर रहे हैं. सर्वाधिक मजेदार स्थित कुशीनगर में है। यहां पर आधा सैकड़ा अभ्यर्थियों के प्राप्तांक शत प्रतिशत दर्शा दिये गये हैं। सूची में प्रथम स्थान पर दर्शाये गये अभ्यर्थी के तो स्नातक में प्राप्तांक पूर्णांक से भी 70 गुना अधिक हैं।
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ऐसे में अभ्यर्थियों को अपनी कट आफ की स्थिति जानने के लिए आवेदित जिलों की परिक्रमा करनी होगी. अभ्यर्थियों ने गड़बड़ियों को लेकर पहले ही सवाल खड़े किये थे, लेकिन खामियों की यही स्थिति रही तो प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती पूरी करना किसी यक्ष प्रश्न से कम न होगा. अब बेसिक शिक्षा परिषद के अफसर इन गलतियों के लिए जिलों पर जिम्मा थोप रहे हैं.
काउंसलिंग के लिए सबसे पहले कट आफ मेरिट घोषित करने में बाजी मारने वाले कुशीनगर की लिस्ट पर नजर दौड़ते ही खामियों की भरमार मिल जा रही है. सामान्य अभ्यर्थियों की सूची में पहला स्थान बनाने वाले अन्य पिछड़े वर्ग के ममतेश ने तो कमाल ही कर दिया. स्नातक में दस अंकों का पूर्णाक दिखाने वाले ममतेश को 73 अंक मिले हैं, कुछ आवेदक तो इसके आगे भी निकल गये हैं. सामान्य वर्ग के चन्द्रभान की मेरिट 100 फीसद है, तो ओबीसी के ममतेश की 2971.28 है.
100 अंकों के योग तक पहुंचने वाले चार और आवेदक हैं जो हाईस्कूल से लेकर बीएड तक में 100 फीसद अंक लाये हैं, यानि हाईस्कूल में 500 में 500, इंटरमीडिएट में 600 में 600, स्नातक में किसी का पूर्णाक 900 का है तो किसी का 2200 का. मेरिट में 14वें स्थान पर रहे प्रदीप कुमार पाण्डेय के भी स्नातक में 1350 में 1350 अंक मिले हैं, तो बीएड में पूरे अंक लेकर मेरिट कट आफ में 87.51 फीसद पर हैं. 15वें स्थान पर आने वाले धम्रेन्द्र सिंह स्नातक में 1200 में 1200 व बीएड में 1000 में 1000 अंक लाने वाले मेधावी प्रशिक्षु भर्ती की कतार में हैं.
अब सवाल एक और भी है कि यह गलती ऑन लाइन आवेदन में अभ्यर्थियों ने की तो उनके आवेदन पत्रों को खारिज क्यों नहीं किया गया. गलती कम्प्यूटर की प्रक्रिया में हुई तो फिर इसको जारी करने से पहले जांचा क्यों नहीं गया और अगर आवेदन पत्रों को खारिज कर दिया गया था तो उन्हें मेरिट कट आफ में स्थान क्यों दिया गया. इन गलत अभ्यर्थियों को बाहर रखा गया होता तो कम मेरिट वाले अभ्यर्थी काउंसलिंग में आने के लिए जगह पा सकते थे. कुशीनगर की कट आफ मेरिट में इन खामियों को उजागर होने के बाद भर्ती प्रक्रिया अब सवालों के घेरे में आ गयी है. [bannergarden id=”8″]
इन खामियों की आहट दूसरे जिलों तक में हुई है. लखनऊ मण्डल के ही कई जिलों ने कट आफ तो घोषित कर दिया गया, लेकिन आवेदकों का ब्योरा सार्वजनिक नहीं किया है, उसे वेबसाइट पर डालने के बाद कुछ जिलों ने हटा लिया है. गलतियों का पुलिंदा बनी कट आफ मेरिट कहीं मेधावियों के भविष्य से खिलवाड़ न साबित हो जाए. सूत्रों का कहना है कि कुशीनगर की कट आफ मेरिट में पहला स्थान बनाने वाले ममतेश को इसी रिकार्ड से 30 से ज्यादा जिलों में पहला स्थान मिला है जबकि सीतापुर से लेकर सभी जिलों में उनके ब्योरा में स्नातक में पूर्णाक दस व प्राप्तांक 743 दिखाया गया है.
इन गलतियों के उजागर होने के बाद तो चयन प्रक्रिया की मॉनीटरिंग करने वाले बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा गलतियों का जिम्मा जिलों पर डाल रहे हैं. गलती जिले की है तो भी उसको दूर करने की जिम्मेदारी से परिषद के अफसर कैसे बच सकते हैं. उल्लेखनीय है कि सूबे में आरटीई लागू होने के बाद टीईटी अनिवार्य कर दी गयी है. प्रदेश सरकार को शिक्षकों की कमी पूरी करने के लिए एक-दो मौके मिले हैं, लेकिन लगता नहीं है कि चयन प्रक्रिया समय से पूरी हो सकेगी