एक सैकड़ा अधिकारी भी मिलकर नहीं कर पाये 38 शिकायतों का निस्तारण

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फर्रुखाबाद: तहसील दिवस के नाम पर लगने वाला जनता दरबार, शिकायतों का निस्तारण न हो पाने के कारण महज एक दिखावा और व्‍यवस्‍था का मजाक बनता नजर आ रहा है। आम जनता को राहत मिलना तो दूर, दूर दराज से अपनी फरियाद लेकर आने वालों की ठीक से समस्या तक सुनी नहीं जाती। तहसील दिवस पर आने वाली फरियादियों की शिकायतें या तो ठंडे बस्ते में डाल दी जातीं हैं और या उनके निस्तारण के नाम पर महज खाना पूरी हो जाती है। आज तहसील दिवस के नाम पर जुटे लगभग एक सैकड़ा अधिकारी मिल कर भी 38 फरियादियों की शिकायतों का निस्‍तारण न कर सके। अधिकांश समय अधिकारी या तो मोबाइल पर फोन करते दिखे, कुछ मोबाइल के फेसबुक पर वयस्‍त रहे।

तहसील दिवस शुरू होते ही कुछ गिने चुने फरियादियों का आना शुरू होता है। दूर दराज से आने वाले सैकड़ों में से कुछ पढे लिखे या होशियार फरियादियों की शिकायतें खानापूरी के लिए दर्ज कर ली जाती हैं तो शेष को तहसील दिवस रजिस्‍टर पर बिना चढाये ही अधिकारी के सामने पेश कर उसको तसल्ली दे दी जाती है। प्रशासन के तकरीबन एक सैकड़ा अधिकारी तहसील दिवस में पहुंचे। लेकिन कोई फोन पर बात करता नजर आया तो कोई मोबाइल पर फेसबुक चलाता। यही बजह है कि सीएम के लखनऊ जनता दरबार में फरियादियों की भीड़ दिनों दिन बढ़ती जा रही है।

तहसील सदर के जनता दरबार में पहुंचे मुख्य विकास अधिकारी आई पी पाण्डेय व पुलिस अधीक्षक नीलाब्जा चौधरी ने जनता की समस्याओं पर नजर डाली। कुल 38 शिकायतें दर्ज की गयीं और शिकायतों को सुनने के लिए लगभग एक सैकड़ा प्रशासनिक अधिकारी मुस्तैद थे लेकिन निस्तारण महज तीन समस्याओं का ही हो सका। जो तीनो राजस्व विभाग की थीं। बाकी 35 शिकायतों को फाइलों में जमा कर फरियादियों को आश्वासन देकर टरका दिया गया। यह कोई आज की बात नहीं। हर बार तहसील दिवस में यही कुछ देखने को मिलता है।

इस दौरान मुख्य चिकित्साधिकारी राकेश कुमार, बीएसए भगवत पटेल, बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता सुरेश कुमार आदि अधिकारी मौजूद थे।