इतिहास फिर एक बार वर्तमान में दिखाई देगा| हजारो साल पहले इतिहास के पन्नो में दफ़न नालंदा विश्वविद्यालय इकीसवी सदी में साकार होगा| जगह भी वही होगी और शैक्षिक व्यवस्था भी वही| बिहार के गौरवशाली इतिहास को पुनर्स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार ने बिल के मसौदे को अंतिम रूप दे दिया है| २६ जुलाई से शुरू होने जा रहे मानसून सत्र में इसे पास करने के लिए सदन के पटल पर रखा जायेगा|
कभी दुनिया भर में वैश्विक सहयोग के रूप में विकसित हुआ था नालंदा विश्वविद्यालय| इसे पुनर्स्थापित उसी स्थान पर किया जायेगा जहाँ ये पूर्व इतिहास के पन्नो में दर्ज है| विश्विद्यालय में पर्यावरण, इतिहास, भूगोल, बौधिक धर्म, तुलनात्मक साहित्य पढ़ाने की व्यवस्था होगी|
१००५ करोड़ के लागत से इस विश्वविद्यालय की स्थापना पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप योजना के तहत स्थापित किया जायेगा| योजना आयोग ने ५० करोड़ की धनराशि इसे पहले ही प्रदान कर दी है|