फर्रुखाबाद- सेवानिवृत शिक्षक की पत्नी प्रेमलता बेसिक शिक्षा विभाग से पेंशन पाने के लिेये 28 साल तक लगातार एड़ियां रगड़-रगड़ कर आखिर सोमवार को मर गयी। इस दौरान उसने सैकड़ों प्रार्थनापत्र दिये, सूचना के अधिकार के अंतर्गत दर्जनों आवेदन किये, विगत वर्ष तो उसने हताश होकर इच्छा मृत्यु तक के लिये अनुमति मांगी। परंतु लालफीताशाही के पीछे पनपती मनमानी के चलते प्रेमलता देवी गरीबी के चलते इलाज के अभाव में मर ही गयी।
पति की मृत्यु के बाद विगत 28 वर्षों में बेसिक शिक्षा विभाग के चक्कर काटते काटते बेचारी प्रेमलता ने पहले ही चारपाई पकड़ ली थी। भ्रष्टाचार के दानव के अट्टाहस के शोर में गरीब बेसाहारा प्रेमलता की आवाज किसी को सुनाई ही नहीं पड़ी। 30 जून 1976 को सेवानिवृत्ति के उपरांत प्रेमलता के पति नन्हेमल की 3 मई 1984 को मृत्यु हो गयी थी| तब से आज तक पेंशन के लिये प्रेम लता को बेसिक शिक्षा विभाग और आला अधिकारियों के चक्कर काटते 28 वर्ष बीत गये। मां की अंगुली पकड़ कर दफ्तरों के चक्कर काटने के दौरान प्रेमलता के इकलौते पुत्र तक के बाल सफेद होने लगे हैं। तत्कालीन एडी बेसिक के निर्देश पर एक बार प्रेम लता को पेंशन स्वीकृत भी की गयी। परंतु चूंकि उसमें कुछ मिला तो था नहीं, सो केवल अधिकारी के आदेश का पालन तो कर दिया परंतु बाद में एक पुरान शासनादेश का हवाला देकर उसकी पेंशन बंद कर दी। मजे की बात है कि जिस समय संदर्भित शासनादेश का हवाला देकर पेंशन बंद की गयी उस समय दूसरे शासनादेश से उसे समाप्त भी किया जा चुका था। इतना ही नहीं इन्हीं परिस्थितियों में इसी बीएसए कार्यालय के एक तत्कालीन लिपिक की मां को पारिवारिक पेंशन दी जा रही है।
सोमवार को गरीबी के चलते इलाज के अभाव में प्रेमलता की मृत्यु हो गयी।
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