क्या बूढ़े क्या नौजवान, दामिनी के साथ हुआ पूरा देश

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एक अबला नारी अपने पीछे एक इतिहास छोड़ गयी| दामिनी की कुर्बानी जाया नहीं जाएगी ये आवाज देश के कोने कोने से आ रही है| लोकतंत्र के नाम पर शासक बने राजनेताओं को घर में दुबक कर बैठे पर मजबूर करने वाले देश के नौजवान और बच्चे अब शायद चुप नहीं बैठेंगे|

फर्रुखाबाद की आवास विकास कॉलोनी में भी नन्हे मुन्ने बच्चो ने मोमबत्ती जलाकर अपनी सम्वेदनाएँ गैंग रेप की शिकार दामिनी के साथ प्रगट की| जिस बच्ची को भारत की जनता ने देखा नहीं, जाना नहीं उसके साथ घटी घटना ने हर इन्सान को झकझोर कर रख दिया है| लड़कियां सेफ नहीं है| सिर्फ यही आवाज चारो और से सुनाई दे रही है| नेता अभी भी नेतागिरी कर रहे है| मीडिया के लिए निर्देश जारी कर रहे है| दिल्ली में सड़के बंद कर रहे है| मेट्रो स्टेशन बंद किये जा रहे है| आखिर कब तक घर में घुसे रहोगे? कहाँ कहाँ लगाओगे धरा 114 | यही आवाज कुशाग्र तिवारी और सार्थक तिवारी जो अभी मात्र ७ साल के हैं चीख चीख कर कह रहे है| शायद नेता भूल रहे है कि यही है देश का भविष्य|