त्याग का दूसरा नाम क्रिसमस: पादरी किशन मसीह

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फर्रुखाबाद: 25 दिसम्बर को क्रिसमस डे के उपलक्ष में शहर के विभिन्न गिरजाघरों में प्रार्थनासभा का आयोजन किया गया। जहां ईसामसीह के अनुयायियों ने प्रभु ईशु के दरबार में पहुंचकर प्रार्थना की। इस दौरान बढ़पुर चर्च के पादरी किशन मसीह ने कहा कि क्रिसमस डे का मतलब त्याग की भावना है, जो आदमी को अपने अंदर पैदा करनी चाहिए।

ईसाई समुदाय के लोगों की प्रार्थनासभा को सम्बोधित करते हुए पादरी किशन मसीह ने कहा कि इंसान के भीतर क्रिसमस मनाने का एक उद्देश्य होना चाहिए और उसे यह सोचना चाहिए कि हमने किसके लिए क्या किया। उन्होंने कहा कि क्रिसमस पर सभी ने अपने बच्चों के लिए, पत्नी के लिए व खुद के लिए नये कपड़े इत्यादि खरीदे और चर्च में प्रार्थना भी की लेकिन प्रभू के लिए क्या किया। इंसान को त्याग की भावना पैदा कर प्रभु के दरबार में आना चाहिए।

किशन मसीह ने कहा कि पूरे जीवन गुजरने के बाद इंसान को यह आंकड़ा भी लगाना चाहिए कि उसने पूरे जीवन में कितना समय प्रभू के लिए दिया। जबकि 60 सालों में तकरीबन 6 सालें प्रभु को अर्पित करनी चाहिए। प्रार्थनासभा के बाद मसीह समाज के लोगों ने एक दूसरे को क्रिसमस की शुभकामनायें दीं। बच्चे, बूढ़े, महिलाओं ने भी एक दूसरे के साथ क्रिसमस के त्यौहार की खुशियां बांटीं। इसके बाद बढ़पुर चर्च में ही भोज का आयोजन भी किया गया।