फर्रुखाबाद: प्रशासन द्वारा बीते एक माह पूर्व से लगायी गयी भूखनन पर रोक के चलते ईंटों के दामों में भारी बढ़ोत्तरी होने की संभावना हो गयी है। पहले तो कच्चा माल ही तैयार नहीं हो पा रहा और ऊपर से बारिश के करीब आने से भट्ठा मालिकों के होश उड़ गये हैं। हालांकि प्रशासन के एक महीने बाद भू खनन का आदेश वापस लेने से भट्ठों पर ईंट बनाने का काम तो शुरू हो गया लेकिन उन्हें पकाने के लिए भट्ठा चालू करने में अभी एक माह और लग जायेगा। कुल मिलाकर दो महीने लेट ईंट तैयार होने से उसके दामों में भी भारी बढ़ोत्तरी होने की संभावना तेज हो गयी है।
विदित हो कि बीते एक माह पूर्व 24 अक्टूबर से एसडीएम सदर भगवानदीन वर्मा द्वारा भू खनन पर रोक लगा दी गयी थी। जिसके चलते भट्ठा मालिकों ने ईंटें बनवाने का काम बंद कर दिया। लेकिन लेवर का पूरा खर्चा एक महीने तक भट्ठा मालिकों के सर आ गया। ऊपर से ईंट न बन पाने से भट्ठों में भी आग नहीं डाली गयी है। रखा रोड स्थित भट्ठा मालिक चंदू बाबू कटियार ने बताया कि वर्तमान में दोयम व खड़न्जा ईंट चार हजार रुपये प्रति एक हजार व अब्बल ईंट 4500 रुपये में एक हजार बेच रहे हैं। सेम के भाव 1800 रुपये प्रति हजार चल रहे हैं। लेकिन एक माह काम बंद होने से भट्ठों पर अब्बल ईंट की भारी कमी हो गयी है। जिसके चलते इसके दामों में इजाफा हो सकता है। कच्चा माल एक माह तक न बन पाने से तकरीबन पांच लाख ईंटों का घाटा भट्ठा मालिकों को हो गया है। इस हिसाब से अब्बल ईंट तैयार होने के बाद तकरीबन पांच हजार तक पहुंच सकती है। एक माह बाद प्रशासन के अनुमति देने पर भट्ठा मालिकों ने ईंट पाथने का काम शुरू करा दिया और इसके साथ ही ईंटों को चिमनी में भरने का काम भी शुरू कर दिया गया है। लेकिन इसके बावजूद भी इस बार भट्ठा मालिकों को काफी घाटा झेलना पड़ रहा है।
वहीं भट्ठे पर काम करने वाली लेवर को वर्तमान में 370 रुपये प्रति हजार ईंट के हिसाब से भुगतान किया जाता है। इसके चलते बिहार से आयी लेवर एक दिन में तकरीबन 200 रुपये तक की आमदनी कर लेता है। इस बार काम बंद रहने से भट्ठे की लेवर भी भुखमरी की कगार पर पहुंच गयी थी। पूरा महीना बेरोजगार रहने से लेवर को भी काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। काम शुरू होने से भट्ठे के मजदूरों के चेहरों पर भी खुशी साफ देखी जा रही है।