कार्तिक महापूर्णिमा पर हजारों भक्तों ने गंगा में डुबकी लगायी

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फर्रुखाबाद : इस बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्र व गुरु दोनों ही कृतिका नक्षत्र में रहने के कारण यह महापूर्णिमा कहलाएगी। पंडित रमाशंकर तिवारी के मुताबिक यह दुर्लभ संयोग 24 वर्षो के बाद बना है। यह बहुत ही लाभदायक होगा। सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इसको गुरु पूर्णिमा, त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान भी कहते हैं। इस दिन लोग पापों से मुक्ति के लिए गंगा, सरयू सहित अन्य नदियों में श्रद्धा की डुबकी लगाते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान व दीप दान की परंपरा है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा इस लिए कहा जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान भोले शंकर ने त्रिपुरासुर का वध किया था और त्रिपुरारी के रूप में उनकी पूजा होने लगी। शास्त्रों के मुताबिक इस दिन नारायण ने प्रलय काल में वेदों की रक्षा करने के लिए तथा सृष्टि की रक्षा के लिए मत्स्य अवतार लिया था। शहर में इस दिन अधिसंख्य लोग घटियाघाट गंगा तट पर स्नान करके पूजा-अर्चना कर गरीबों दान करते हैं। मंदिरों में भी विशेष पूजा-अर्चना के लिए भारी भीड़ उमड़ी।

शास्त्रों के मुताबिक कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान, दीप दान, यज्ञ-हवन आदि करने से पाप और ताप का नाश होता है। इस दिन अन्न, धन व वस्त्र दान का विधान है। इस दिन जो भी दान किया जाता है उसका कई गुना लाभ मिलता है। पंण्डित श्री तिवारी ने के मुताबिक बुधवार को दोपहर 2.28 बजे तक ही कार्तिक पूर्णिमा है। इसलिए इससे पहले ही पूजन, दान आदि का कार्य पूर्ण कर लेने के लिए गंगा घाटों पर भारी भीड़ दिखी। स्नान का सबसे उत्तम योग सुबह 4.15 से 10.12 बजे तक रहने से घटियाघाट गंगा तट जाने वाले रास्ते पर जाम जैसी स्थित रही।