फर्रुखाबाद: पुराना इमामबाड़ा फतेहगढ़ में पैगंबर.ए.इस्लाम हजरत मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन की यादगार मोहर्रम यौम.ए.आशूरा के छठे दिन कुरान ख्वानी व मजलिस का आयोजन किया गया। मजलिस में मौलाना सदाकत हुसैन शैथली ने भी खिताब किया।
इस दौरान मौलाना शैथली ने कहा कि इमाम हुसैन व उनके परिवार की कुर्बानी को समाज कभी भुला नहीं सकता। हजरत इमाम हुसैन ने अल्लाह की रजामंदी को ही बेहतरी जाना और परिवार के 72 साथियों समेत कर्बला में शहीद हो गये। तारीख.ए.इस्लाम के वह सुनहरे पन्ने, जिनमें इमाम हुसैन के बहादुराना कारनामे दर्ज हैं, कभी भी दिमागों से नहीं उतर सकते। करबला की घटना के दौरान जितनी मुसीबतें, परेशानियां, जुल्म, ज्यादती इमाम हुसैन और उनके परिजनों ने बर्दाश्त की हैं, यहां तक कि करबला के तपते हुए रेगिस्तान में इमाम हुसैन के प्यासे बच्चों को एक.एक बूंद पानी से भी मेहरूम कर दिया गया और नन्हें.मुन्ने बच्चों के जिस्मों को तीरों से छलनी कर दिया गया। सिर्फ इसलिए कि इमाम हुसैन हक परस्त थे। वह उन उसूलों को जिंदा रखना चाहते थे, जिन्हें लेकर प्यारे नबी ;सल्लह दुनिया में आए थे। यजीद ने इंसानियत के चेहरे को जिस तरह दागदार किया है, उसका वर्णन सुनकर ही इंसानों के सिर शर्म से झुक जाते हैं। ऐ.इमाम हुसैन, आप पर दुनिया के सभी इंसानों के लाखों.करोड़ों सलाम कि आपने करबला के तपते हुए मैदान में अपना पाक खून बहाकर इस्लाम के तनावर दरख्त को हमेशा.हमेशा के लिए हरा.भरा कर दिया। आपने दुनिया को यह दिखा दिया कि बहादुरी, ईमानदारी, सच्चाई और हक परस्ती की जिंदगी का एक पल बेईमानी की जिंदगी के लाखों सालों से बेहतर है।
मजलिस इमरान अली, इरफान, आफताब, सादिव, सारू, सैजान, सैय्यद सुल्तान अली की जानिव से आयोजित की गयी। मजलिस में तमाम हजरात मौजूद रहे।