फर्रुखाबाद: बेसिक स्कूलों के उन्नयन की बात आये और भ्रष्टाचार की बात न हो ऐसा समीचीन नहीं लगता। बेसिक स्कूलों के उन्नयन में सरकार द्वारा दिये जाने वाले प्रत्येक बजट को गोलमाल कर घोटने में गुरू जी व बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी पूर्णतः माहिर लग रहे हैं। यही कारण है कि बेसिक स्कूलों के नाम पर सरकार द्वारा करोड़ों का बजट खर्च किये जाने के बाद भी कोई सुधार नहीं हो रहा है। लगातार बेसिक स्कूलों में पढ़ रहे मासूमों का भविष्य अधर में पड़ता जा रहा है। यदि राजेपुर ब्लाक के ग्राम जैनापुर में स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय पर नजर डालें तो यहां पर बच्चे गंदगी भरे माहौल व खुले में टाट पट्टी पर बैठने को मजबूर हैं।
जब इसकी हकीकत जानने के लिए जेएनआई टीम पूर्व माध्यमिक विद्यालय जैनापुर में पहुंची तो यहां छात्र छात्राओं ने बताया कि विद्यालय में मिड डे मील में अधिकांश दिनों में खिचड़ी व तहरी ही मिलती है। इतना ही नहीं विद्यालय में बच्चों के बैठने के लिए टेबिल के नाम पर 50 हजार का बजट निकाला गया। जिसमें मात्र 10 से 20 लकड़ी की टेबिल खरीदी गयीं। जबकि बजट के अनुसार लोहे की टेबिल बच्चों के लिए खरीदी जानी चाहिए थी। लेकिन खानापूरी कर बजट का बंदरबांट कर लिया गया। विद्यालय में 80 बच्चों के पंजीकरण होने के बावजूद मात्र 35 से 40 बच्चे ही उपस्थित होते हैं। जिसका मुख्य कारण है कि बच्चों को विद्यालय में न ही अच्छे ढ़ंग से पढ़ाया जाता है और न ही उन्हें शिक्षा जैसा शांतिपूर्ण माहौल मिलता है।
वहीं ग्रामीणों का कहना है कि बच्चे कक्षा 7 व 8 में पहुंच जाते हैं लेकिन ठीक से पहाड़े व गिनती तक नहीं जान पाते। कक्षा 8 का एक भी बच्चा अंग्रेजी की किताब ठीक से नहीं पढ़ सकता। यदि यही हाल रहा तो उनके बच्चों का भविष्य चौपट हो जायेगा।
सरकार भले ही ग्रामीण बच्चों को कम्प्यूटर शिक्षा के लिए कम्प्यूटर व बिजली स्कूलों में मुहैया कराने के सरकारी आंकड़े पूर्ण कर चुकी हो, लेकिन पूर्व माध्यमिक विद्यालय जैनापुर में आज तक न तो बिजली की व्यवस्था और न ही यहां पर कम्प्यूटर नाम जैसी कोई चीज नहीं है। आज तक कम्प्यूटर खरीदा नहीं गया है। यह शिक्षकों व अधिकारियों की हीलाहवाली कहें या भ्रष्टाचार।
वहीं विद्यालय में बने शौचालय व अन्य परिवेश में इतनी गंदगी का माहौल है कि शहर के मध्यम वर्ग के बच्चे को यहां पर बैठाया जाये तो वह पढ़ने की बात तो दूर यहां एक घंटे मात्र बैठने को राजी नहीं होगा। जब इस सम्बंध में इंचार्ज प्रधानाचार्या सरलादेवी से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि ग्राम प्रधान कुंवरपाल सिंह को सफाई व्यवस्था के सम्बंध में कई बार अवगत कराया लेकिन सफाईकर्मी नहीं आता। इसके लिए वह क्या करें।
अब देखने वाली बात है कि बेसिक शिक्षा विभाग में अधिकारी से लेकर शिक्षकों तक सब अपनी अपनी नौकरी से काम रख रहे हैं। उन्हें सिर्फ महीने के अंत में मोटा वेतन मिलता रहे। भाड़ में जायें मासूम व उनके अभिभावक। किसी को मासूमों की जिंदगी या भविष्य से कोई लेना देना नहीं है। यदि यही हाल रहा तो आने वाले समय में कोई भी सम्पन्न व्यक्ति अपने बच्चों को सरकार द्वारा चलाये जा रहे प्राइमरी व जूनियर स्कूलों में पढ़ने के लिए नहीं भेजेगा और सरकार का सर्व शिक्षा अभियान का सपना धरा का धरा रह जायेगा।