सर्दी कम पड़ने से रुई के रेटों में गिरावट, व्यापारी मायूस

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फर्रुखाबाद: सर्दी के साथ-साथ दीपावली भी सर पर है। जिसके चलते पहले से ही योजना बनाकर बैठे रुई विक्रेताओं के मनसूबों पर फिलहाल पानी सा फिर गया है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष रुई के रेटों में काफी गिरावट आ गयी है। जिसकी मुख्य बजह सर्दी कम पड़ना बतायी जा रही है। वहीं दरों में गिरावट आने के बावजूद भी ग्राहकों की भीड़ रुई की दुकानों पर नहीं देखने को मिल रही है। जिससे रुई के छोटे व बड़े व्यापारी काफी मायूस नजर आ रहे हैं।

सर्दी बढ़ने के साथ-साथ रुई की खरीद फरोख्त में बढोत्तरी होने लगती है। जहां एक तरफ व्यापारियों ने अच्छी विक्री के चलते कानपुर इत्यादि से काफी मात्रा में रुई मंगाकर पहले से ही भण्डारण कर रखी थी। लेकिन सर्दी कम पड़ना रुई खरीद की तरफ ग्राहकों को आकर्षित नहीं कर रहा है। रुई के छोटे बड़े दुकानदार अभी यह उम्मीद लगाये बैठे हैं कि सर्दी के बढ़ते ही रुई के दाम भी बढ़ेंगे और ग्राहक भी। लेकिन अगर पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष सर्दी कम पड़ी तो रुई की खरीद पर खासा असर देखने को मिलेगा। पिछले वर्ष सर्दी अधिक पड़ने से रुई के दाम भी सातवें आसमान पर थे। लेकिन इस वर्ष व्यापारी माल को ठीक से बेच तक नहीं पा रहे हैं।

बूरा वाली गली में रुई का थोक का व्यापार कर रहे पप्पू ने बताया कि पिछले वर्ष सर्दी भी ठीक ठाक थी और रुई के दाम भी। थोक में अच्छी खासी रुई विक्री हुई। वहीं रजाई भरवाने वाले लोग भी दीपावली तक कायदे से आने लगे थे। इस वर्ष तो दाम में भी गिरावट हो गयी और ग्राहकों में भी। फिलहाल उन्हें सर्दी बढ़ने का इंतजार है और रुई के दाम बढ़ने की उम्मीद।

रुई व्यापारी सोनू ने बताया कि सिर्फ उम्मीद पर ही वह माल लेकर बैठे हैं। सोनू ने बताया कि दीवाली के बाद से ग्राहकों की संख्या बाजार में बढ़ जायेगी और संख्या बढ़ते ही रुई के रेट में भी बढ़ोत्तरी होगी।

फिलहाल बाजार में 15 रुपये से लेकर 160 रुपये किलो तक की रुई उपलब्ध है। फैक्ट्रियों से आने वाली कतरन (उड़ान) का रेट 15 रुपये किलो। फाइवर वाली रुई इस समय 160 रुपये तक बिक रही है। एक रजाई में तकरीबन साढ़े तीन किलो रुई लग जाती है। फिलहाल रुई व्यापारी अभी ग्राहकों को लेकर काफी चिंतित नजर आये। थोक से लेकर फुटकर रुई के व्यापारी ठीक ठाक सर्दी पड़ने का इंतजार कर रहे हैं।