फर्रुखाबाद: यू पी में ऑनलाइन सेवा लागू हुए 3 माह हो चुके है मगर अब तक व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पायी है| हालात ये है कि केवल राजस्व विभाग द्वारा जारी होने वाले आय, जाति और सामान्य निवास प्रमाण पत्रों को जारी करने के अलावा कोई सेवा जनता को नहीं मिल पा रही है| इस व्यवस्था में 26 सेवाएं 8 विभागों को देनी है|
फर्रुखाबाद जनपद में नगरपालिका द्वारा जन्म/मृत्यु प्रमाण पत्रों को नगरपालिका का कोई अधिकारी निस्तारित नहीं कर रहा है| नगर क्षेत्र के राशन जारी करने के मात्र 10 प्रतिशत ही आवेदन निस्तारित हो पाए है| सबसे नाकारा नगरपालिका के अधिक्षाशी अधिकारी और खंड विकास अधिकारी साबित हो रहे है जिन्होंने इस व्यवस्था का एक भी आवेदन निस्तारित नहीं किया है| मुख्यमंत्री द्वारा तीन माह पहले उदघाटन करने के बाद भी नगरपालिका के अफसर और बढ़पुर ब्लाक के खंड विकास अधिकारी अभी तक उन्हें शासनादेश न मिलने का बहाना बना रहे है| एक साल से राशन कार्ड जारी करना बंद किये बैठा जिला पूर्ती कार्यालय को जब लोकवाणी ने हाईकोर्ट और प्रमुख सचिव के आदेश मुहैया कराये तब जाकर उन्होंने वेबसाइट खोलना शुरू की| मगर आज तक 3000 से ज्यादा लंबित आवेदनों में से केवल 59 लोगो को राशन कार्ड उपलब्ध करा सका|
मंगलवार को तहसील दिवस में इन तीनो अधिकारिओ के विरुद्ध आम जनता के आवेदन निस्तारण समय पूरा होने के बाबजूद लंबित करने की शिकायत लोकवाणी केन्द्रों द्वारा दर्ज करायी गयी| तहसील दिवस में मौजूद अधिशासी अधिकारी नगरपालिका परिषद् फर्रुखाबाद आर डी बाजपेई अपनी जिम्मेदारियो का शासनादेश दूंदते नजर आये| लोकवाणी केंद्र द्वारा नगरपालिका की गयी शिकायत में नगरपालिका के लिए विशेष सचिव द्वारा 1 अगस्त 2012 को जारी शासनादेश भी उपलब्ध कराया|
यानि कुल मिलाकर ऑनलाइन व्यवस्था को चालू कराना कुत्ते के मुह से हड्डी छीनने जैसा है| रिश्वतखोरी और जनता को परेशान करने की आदत से मजबूर यूपी का बाबू ऑनलाइन व्यवस्था को ध्वस्त करने के नए नए तरीके निकलता रहता है| जबकि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी जनहित गारंटी नियमवाली के तहत समय सीमा में 20 प्रतिशत भी काम नहीं हो पा रहा है|
फर्रुखाबाद जनपद में सेवायोजन कार्यालय द्वारा एक भी आवेदन निस्तारित नहीं किया गया| समाज कल्याण विभाग भी ऑनलाइन सेवा के आवेदनों को निस्तारित करने नाकारा विभागों में अव्वल बना हुआ है| दरअसल में इस व्यवस्था में जनता को किसी भी सरकारी दफ्तर में जाने की जरुरत नहीं होती| एकल व्यवस्था के तहत सरकारी कार्यालयों द्वारा दी जाने वाली सेवाओं को जन सेवा केन्द्रों/ लोकवाणी केन्द्रों के माध्यम से निस्तारित होना है| ऐसे में जो भ्रष्ट सरकारी बाबू और अफसर हैं उनके रिश्वत दोहन में ये केंद्र रोड़ा बन रहे है| जब जनता का आदमी उनसे मिलेगा ही नहीं तो रिश्वत की मांग किससे करेंगे? ऐसे में उनसे काम करा लेना कुत्ते के मुह से हड्डी छीन लेने जैसा ही है|