लखनऊ। उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार ने अमर सिंह के खिलाफ फर्जी कंपनियां बनाने और इसके जरिए मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा वापस ले लिया गया है। सपा सरकार के इस मुलायम रुख के सत्ता के गलियारों में कई मायने निकाले जा रहे हैं। साल 2009 में मायावती सरकार ने समाजवादी पार्टी के तत्कालीन महासचिव रहे अमर सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाया था। अखिलेश सरकार के इस कदम को अमर सिंह और मुलायम सिंह के बीच बढ़ती नजदीकी का संकेत माना जा रहा है। हालांकि अंदरखाने से जो खबर आ रही है उसके अनुसार अखिलेश यादव इस कदम के खिलाफ हैं।
उल्लेखनीय है कि कभी समाजवादी पार्टी में दूसरे नम्बर के नेता रहे अमर सिंह की जया प्रदा को लेकर पार्टी नेता आजम खान और बाद में रामगोपाल यादव से ठन गई थी। जिसके बाद आजम ने तमाम आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी थी। बाद में अमर की भी पार्टी से विदाई हो गई। पार्टी से निकाले जाने के बाद अमर सिंह ने मुलायम सिंह के खिलाफ काफी बयानबाजी की थी। सपा को नेस्तनाबूद करने में भी जुट गए थे। लेकिन इस कदम से लग रहा है कि मुलायम ने अमर सिंह की अदावत को भूल गए हैं।
सपा सरकार ने मेहरबानी दिखाते हुए 600 फर्जी कंपनियों के माध्यम से करोड़ों रुपये की मनी लांड्रिंग का केस वापस लेने का फरमान जारी कर दिया है। अमर सिंह के खिलाफ मनी लांड्रिंग केस में पुलिस ने शुक्रवार को कानपुर में जिला जज ओपी वर्मा की अदालत में अपनी क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी। याचिकाकर्ता शिवाकांत त्रिपाठी ने बताया कि आज वकीलों के कार्य बहिष्कार की वजह से वह इस रिपोर्ट के खिलाफ अपील नहीं कर सके हैं। वह शनिवार को इसके खिलाफ अपील करेंगे।
बताते चलें कि 15 अक्टूबर 2009 को कानपुर के बाबू पुरवा थाने में शिवाकांत त्रिपाठी की शिकायत पर अमर सिंह के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज कराई गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि मुलायम सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में उत्तर प्रदेश विकास परिषद के अध्यक्ष के तौर पर अमर सिंह ने कई वित्तीय अनियमितताएं कीं। शिवाकांत त्रिपाठी ने मामले में करीब 15 किलो के कागजात भी सबूत की तरह पेश किए, जिनमें बताया गया कि अमर सिंह ने कोलकाता, दिल्ली और कई अन्य जगहों के फर्जी पतों वाली कंपनियों से मनी लांड्रिंग की।
तत्कालीन बसपा सरकार ने इस मामले की जांच आार्थिक अपराध शाखा को सौंप दी। इसके बाद शिवाकांत त्रिपाठी ने एक याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट से आग्रह किया कि पूरी जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कराई जाए, साथ ही जांच की निगरानी अदालत करे। इस दौरान हाईकोर्ट ने अमर सिंह की गिरफ्तारी पर स्टे दे दिया। साथ ही 20 मई 2011 को ईडी को निर्देश दिया कि मामले की जांच अपने स्तर से करे। ईडी ने इसी महीने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपनी जांच रिपोर्ट फाइल कर दी। अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में यूपी सरकार ने ईओडब्ल्यू से मामला दोबारा कानपुर की बाबूपुरवा थाने की पुलिस को ट्रांसफर करने का आदेश जारी कर दिया।
अब इसी मामले में अखिलेश सरकार ने कानपुर पुलिस को क्लोजर रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया है। दूसरी तरफ शिवाकांत त्रिपाठी भी तैयार हैं। उनका कहना है कि वे कानपुर पुलिस के क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने का इंतजार कर रहे हैं, जैसे ही पुलिस क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करेगी वे उसे कोर्ट में चुनौती देंगे। उनका कहना है कि चूंकि मामला 25 हजार रुपये से ज्यादा का है इसलिए कानपुर पुलिस जांच नहीं कर सकती। बताया जा रहा है कि अमर सिंह ने मौलाना बुखारी के माध्यम से मामला वापस लिए जाने की अर्जी दी थी, जिसके बाद सपा सरकार ने ये फैसला लिया है।