फर्रुखाबाद। इसे पुलिस की लापरवाही कहें या मिलीभगत कि अपराधी को अपराधी मानते हुए भी ले दे कर मामला निबटा दिया जाता है। वही व्यक्ति फिर पुलिस को अपने घर की रखैल समझ कर बड़े अपराध को जन्म दे देता है, पुलिस हाथ मलती नजर आती है। बीते 22 दिसम्बर 2011 को शहर कोतवाली पुलिस ने अवैध वसूली करते फर्जी पुलिस के आरोपी को गिरफ्तार किया था। लेकिन तत्कालीन शहर कोतवाल कालूराम दोहरे ने मामले को निबटा दिया था। पुलिस की यह लापरवाही आज सामने आ गयी व जीआरपी पुलिस ने पुन: फर्जी पुलिस दीवान बनकर वसूली करने के आरोप में उसी व्यक्ति को धर दबोचा। उसके पास से पुलिस के कुछ आवश्यक दस्तावेज भी बरामद हुए हैं।
घटना मंगलवार दोपहर दो बजे की है जब जीआरपी थाना प्रभारी सुनील कुमार शर्मा को सूचना मिली कि एक व्यक्ति फर्जी दीवान बनकर लोगों के साथ अवैध वसूली कर रहा है। सूचना मिलने पर थाना प्रभारी सुनील कुमार ने आरोपी युवक को दबोच लिया। दबोचे गये युवक अभिषेक पुत्र सुखनंदन निवासी सकवाई मोहम्मदाबाद के पास से पुलिस अधीक्षक के हस्ताक्षर से बनाया हुआ फर्जी दीवान का पहचान पत्र बरामद हुआ व कुछ न्यायालय द्वारा जारी किये गये वारंट भी पुलिस ने बरामद किये। सभी सामानों को पुलिस ने सील कर दिया। युवक को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी। वहीं आरोपी युवक अभिषेक से पूछे जाने पर उसने अपना नाम जीवन प्रसाद बताया। अभिषेक के पास से मिले पहचान पत्र में अभिषेक यादव पुत्र महेश सिंह यादव निवासी भनर चौराहा मैनपुरी लिखा था। आरोपी ने बताया कि उसे यह पहचान पत्र शहर कोतवाली में तैनात एक पुलिसकर्मी ने बनवाकर दिया था। पुलिसकर्मी का नाम बताने के लिए वह तैयार नहीं हुआ। जीआरपी थाना प्रभारी सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि युवक को पूछताछ के बाद जेल भेज दिया गया है।
विदित हो कि शहर कोतवाली क्षेत्र के घटियाघाट, लालदरबाजा, कादरीगेट आदि जगहों पर पुलिस के नाम पर वाहनों से वसूली करने के मामले में कोतवाली पुलिस ने 22 दिसम्बर 2011 को मोहम्मदाबाद के सकवाई निवासी अभिषेक पुत्र सुखनंदन को धर दबोचा था।
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अभिषेक गंगानगर कालोनी में किराये पर रहता था। वह अक्सर वाहनों से हेकड़ी दिखाकर अवैध वसूली करते देखा गया है। कुछ समय पूर्व राजेपुर में एक बस चालक से लेनदेने को लेकर इसका विवाद हो चुका है व कई सेक्स रैकिटों से भी इसके सम्बन्ध हैं। लेकिन तत्कालीन कोतवाली कालूराम दोहरे ने युवक को पूछताछ के बाद चलता कर दिया था। युवक ने उस दिन भी 22 दिसम्बर को अपने को पुलिस का मुखबिर बताया था व सथानांतरित हो चुके एसआई तुषारदत्त त्यागी का खास व्यक्ति बताकर पुलिस पर दबाव बनाने का प्रयास किया था। वही बात उसने आज जीआरपी थाना अध्यक्ष सुनील कुमार वर्मा पर भी आजमाया। लेकिन जीआरपी पुलिस ने उसके सारे काले चिट्ठे को निकालकर रख दिया।