जनरल वी के सिंह सहित कई पूर्व सेना प्रमुखों पर नियमों को ताक पर रखकर रक्षा उपकरणों की खरीद में अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगा है। रक्षा मंत्रालय की तरफ से कराए गए आंतरिक ऑडिट में खुलासा हुआ कि इन पूर्व सेना प्रमुखों के कारण देश को पिछले 2 सालों में 103.11 करोड़ रुपए की चपत लगी। जांच के दौरान पाया गया कि चीन से खरीदे गए उपकरणों में जासूसी करने वाला सॉफ्टवेयर भी फिट किया गया था।इन आरोपों से पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह भी नहीं बच पाए हैं। मामला सामने आने के बाद अब रक्षा मंत्री ने आदेश दिया है कि सेना के आला अफसरों को किसी खरीद से पहले मंत्रालय की मंजूरी लेनी जरूरी होगी।
ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक आर्मी चीफ जनरल बिक्रम सिंह, पूर्व आर्मी चीफ जनरल वी के सिंह और दूसरे कमाडरों ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए चीन में बने संचार उपकरण दलालों के जरिए खरीदे। जबकि मूल कंपनी के अफसर भारत में ही मौजूद थे। ऑडिट रिपोर्ट के अनूसार अगर ये उपकरण भारतीय फर्मो से लिए जाते तो सस्ते मिल जाते। यही नहीं, आर्मी हेडक्वार्टर ने जिन बुलेटप्रूफ जैकेटों को खराब क्वालिटी का बताकर रिजेक्ट कर दिया था, उन्हें नॉर्दर्न कमांड ने खरीद लिया। जांच के दौरान पाया गया कि चीन से खरीदे गए उपकरणों में जासूसी करने वाला सॉफ्टवेयर भी फिट किया गया था। चीन समेत कई देशों की खुफिया एजेंसिया जासूसी के लिए ऐसे हथकंडे अपनाती हैं।
ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक ये सारी खरीद सेना की डिटेक्टिव विंग के संचार उपकरणों की खरीद के संबंध में जारी किए कई दिशा-निर्देश व नियमों का उल्लंघन करके भी की गई है। ऐसे में फिजूलखर्ची के साथ साथ देश की सुरक्षा से भी समझौता किया गया है। रक्षा मंत्री एके एंटनी के आदेश पर सीडीए यानी कंप्ट्रोलर ऑफ डिफेंस अकाउंट्स ने 2009-10 और 2010-11 के दौरान सेना के आला अफसरों के विशेष आर्थिक अधिकारों का ऑडिट किया। सीडीए ने सेना की 7 कमाड में से 6 के 55 लेनदेन की जांच की और अपनी ऑडिट रिपोर्ट में कुल 103.11 करोड़ रुपये के नुकसान की बात कही है।
इस पूरे मामले में गंभीर बात ये भी है कि सेना के किसी कमाडर ने खरीद का पूरी जानकारी नहीं दी है। रिपोर्ट के मुताबिक खरीद के आदेश जारी होने के बावजूद उपकरणों की सप्लाई में एक से तीन साल तक का वक्त लगा है। इससे साफ जाहिर है ये इमरजेंसी खरीद नहीं थी। जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह, जब ईस्टर्न आर्मी कमांडर थे तो उन्होंने पैराशूट खरीदने में फिजूलखर्ची की। ऑडिट रिपोर्ट से पता चला कि पैराशूट के लिए की गई इस डील से सेना को 50 लाख रुपए का नुकसान हुआ।