फर्रुखाबाद: दिल्ली और मुम्बई जैसे महानगरों में डेंगू का प्रकोप फैलने के बाद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन ने यू तो प्रदेश स्तर पर डेंगू के विरुद्व रेड एलर्ट जारी कर दिया है। परन्तु जनपद स्तर पर जमीनी हकीकत तो यह है कि डेंगू से निबटने के लिए जनपद में स्वास्थ्य विभाग के पास पर्याप्त डाक्टर और टेस्टिंग किट नहीं हैं। डेंगू के मरीजों के इलाज के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानी जाने वाली ‘प्लेटलेट्स’ तो जनपद के किसी भी अस्पताल में हैं ही नहीं। हद तो यह है कि मुख्य चिकित्साधिकारी को स्वास्थ्य मंत्री के इस रेड एलर्ट की जानकारी तक नहीं है। एसी स्थित में अगर जनपद में कोई डेंगू पीड़ित मरीज सरकारी अस्पताल में आता है तो स्वास्थ्य विभाग के पास उसे रिफर करने के अलावा कोई भी चारा नहीं है।
दिल्ली, मुम्बई में फैले डेंगू से पूरे देश में हाहाकार का माहौल बन गया है। जिसको देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन ने प्रदेश में अलर्ट की घोषणा कर दी। साथ ही सभी चिकित्सालयों में पर्याप्त जांच किटें व प्लेटलेट्स उपलब्ध रखने के भी निर्देश दिये हैं। लेकिन स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश केवल हवा-हवाई ही हैं। सिर्फ लोहिया अस्पताल की ही बात करें तो मात्र एक फिजीशियन अदिति श्रीवास्तव को डेंगू से पीड़ित मरीजों के लिए रखा गया है। जो पहले से ही अकेले होने की बजह से मरीजों को नहीं देख पा रही हैं। हद तो यह है कि स्वास्थ्य विभाग के किसी भी सरकारी अस्पताल में डेंगू के मरीजों के इलाज के नाम पर जरूरी ‘प्लेट्लेट्स’ तक नहीं है। डेंगू की जांच के लिये आवश्यक ‘टेस्टिंग किट’ भी पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं। बीते कुछ दिनों पूर्व जिलाधिकारी मुथुकुमार ने लोहिया अस्पताल का निरीक्षण किया था। तब सीएमएस नरेन्द्रबाबू कटियार ने उन्हें घुमा फिराकर चलता कर दिया। हकीकत के पायेदान पर अगर खड़े होकर देखें तो जनपद का स्वास्थ्य विभाग डेंगू के मरीज को लेकर इस इंतजार में बैठा है कि मरीज आने के बाद उसे तत्काल कानपुर रिफर कर दिया जायेगा। बड़ा सवाल यह है कि करोड़ों की लागत से बने लोहिया अस्पताल क्या केवल जुखाम-बुखार की नीली-पीली गोलियां बांटने के लिये ही बना है।
तेजी से फैल रही डेंगू की बीमारी को लेकर पूरे प्रदेश में चिंता का विषय बन गया है। लेकिन जनपद के मुख्य चिकित्साधिकारी राकेश कुमार केवल कोरी बयान बाजी ही करके अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं। सीएमएस लोहिया नरेन्द्रबाबू कटियार ने तो स्पष्ट कह दिया कि डेंगू मरीज लोहिया में आने के बाद सीधे कानपुर हैलट के लिए ही रिफर कर दिये जायेंगे। क्योंकि लोहिया अस्पताल में उनके लिए इलाज के नाम पर कोई खास सुविधा मौजूद नहीं है।
पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने लोहिया अस्पताल को जनता के सुविधा के लिए खुलवाया था। पुनः उनकी सरकार बनी और उनके ही पुत्र अखिलेश इस समय सीएम की कुर्सी पर विराजमान हैं। उन्हीं के मंत्री डेंगू की बजह से अलर्ट की घोषणा कर रहे हैं। लेकिन सुविधाओं के नाम पर सरकार व मंत्री ने क्या योजना बनायी इसे बताने वाला कोई नहीं है। कहीं न कहीं इस मामले में समाजवादी पार्टी के स्थनीय कार्यकर्ता भी दोषी नजर आ रहे हैं।