फर्रुखाबाद: कोई जमाना था जब स्कूल को सरस्वती का मंदिर कहा जाता था जहां विद्या प्राप्त करने के लिए बच्चे जाते थे और सच्चे दिल से विद्या ग्रहण करते थे। वहीं गुरू जी भी उतने ही सच्चे दिल से छात्रों को विद्या देते थे। लेकिन अब समाज के साथ-साथ स्कूलों की भी परिभाषा में बदलाव आ चुका है। अब विद्यालयों की एक एक ईंट भ्रष्टाचार की गाथा गा रही है। बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में प्रति वर्ष मेन्टीनेंस के लिए आने वाले रुपये को गुरू जी गटक कर मासूमों की पढ़ाई झाड़ियों झांकरों में कर रहे हैं।
इसकी हकीकत वयां करने के लिए जेएनआई टीम द्वारा राजेपुर क्षेत्र के ग्राम गाजीपुर का निरीक्षण किया गया। जहां पर विद्यालय परिसर में बड़ी बड़ी झाड़ीनुमा घास उगी हुई है। विद्यालय में महीनों से सफाई नहीं की गयी। मेन्टीनेंस के लिए आने वाले 5 हजार रुपये व विद्यालय भवन की रंगाई के लिए आने वाले रुपये को प्रधानाध्यापक व प्रधान मिलकर गटक गये लेकिन उन्होंने मेन्टीनेंस के नाम पर विद्यालय में खड़ी झाड़ी तक को नहीं कटवाया।
जब इस सम्बंध में विद्यालय के प्रधानाचार्य रघुनंदन सिंह से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि विद्यालय की घास कटवाने के लिए कई बार सफाईकर्मी से कहा लेकिन वह तो आता ही नहीं।
जो भी हो विद्यालय में मेन्टीनेंस से लेकर अन्य मदों में आने वाले रुपये को तो प्रधानाध्यापक व प्रधान मिलकर गटक लेते हैं लेकिन योजनाओं के नाम पर कागजी खानापूरी की जा रही है। गाजीपुर प्राइमरी विद्यालय में 73 बच्चे पंजीकृत हैं। जिनमें से मात्र 40 बच्चे ही उपस्थित होते हैं। जबकि मिड डे मील में आने वाली धनराशि को लगभग 73 के आसपास ही बच्चों की उपस्थिति दिखाकर निकाली जा रही है। जनपद के इस एक स्कूल का हाल इस तरह का नहीं है। जनपद के अधिकांश स्कूलों में मेंटीनेंस व रंगाई के लिए आने वाले धन का बंदरबांट कर लिया जाता है। जिसको जिम्मेदार अधिकारी जानकार भी अनजान बने हुए हैं।