फर्रुखाबाद: प्रदेश सरकार ने भले ही अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति उनके खातों में भेजने के निर्देश देकर पारदर्शिता बरतने की मंशा जतायी हो लेकिन जनपद में बैंक अधिकारियों की भ्रष्ट कारगुजारी के चलते अभी भी 23 हजार अल्पसंख्यक छात्र छात्राओं के खाते नहीं खोले गये हैं। जिससे जनपद के अल्पसंख्यकों की छात्रवृत्ति लटकी हुई है।
बीते दिनों प्रदेश सरकार ने निर्देश दिये गये थे कि समस्त अल्पसंख्यक छात्र छात्राओं की छात्रवृत्ति उनके खातों में भेजी जाये। जिससे स्कूलों व मदरसों में किये जाने वाले भ्रष्टाचार को काफी हद तक रोका जा सकता है। जिसके तहत कई बार जनपद के जिलाधिकारी द्वारा बैंक अधिकारियों के साथ मीटिंग कर निर्देश दिये जाते रहे हैं कि छात्र छात्राओं के खाते जीरो वैलेंस पर खोले जायें। लेकिन बैंक अधिकारी व कर्मचारी छात्र छात्राओं के जीरो वैलेंस पर खाता खोलने में अभी भी आनाकानी कर रहे हैं। जिससे पूरे जनपद के अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति खाता न खुल पाने के कारण लटकी हुई हैं।
अल्प संख्यक अधिकारी ने बताया कि जनपद में कुल 36000 अल्पसंख्यक छात्र-छात्रायें हैं। जिनमें से मात्र 13000 छात्र छात्राओं के ही खाता संख्या व अन्य डाटावेस आया है। अभी भी 23 हजार छात्र-छात्राओं के खाता संख्या व डाटावेस स्कूल व मदरसा संचालकों द्वारा नहीं भेजे गये हैं। वहीं स्कूल व मदरसा संचालकों का कहना है कि बैंक अधिकारी बच्चों के खाते जीरो वैलेंस पर खोलने के लिए अभी भी आनाकानी कर रहे हैं और अभिभावकों का कहना है कि वह 480 और 700 रुपये के लिए यदि एक हजार रुपये देकर खाता खुलवायेंगे तो उन्हें छात्रवृत्ति से फायदा ही क्या है। इस बारे में कई बार जिलाधिकारी को मदरसा संचालक व स्कूल संचालकों ने भी अवगत कराया लेकिन अभी तक बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों पर जिलाधिकारी के निर्देश का कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है। जिससे वह खाता खोलने में हीला हवाली कर रहे हैं। खाता न खुल पाने से जनपद में अल्पसंख्यकों की छात्रवृत्ति फिलहाल मिलती नहीं दिख रही है। यदि यही हाल रहा तो एक तिहाई छात्र वजीफा से वंचित भी रह सकते हैं।