और जब जंजीर से जकड़ा व्यक्ति पहुंचा अस्पताल

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फर्रुखाबाद: राममनोहर लोहिया अस्पताल में उस समय कौतूहल का मंजर हो गया जब एक भारी भरकम व्यक्ति को जंजीरों में बांधकर लोहिया अस्पताल में लाया गया। व्यक्ति कौन है, कहां से आया है और जंजीर में क्यों बंधा है? इस बात को जानने की उत्सुकता स्थानीय लोगों में परवान चढ़ रही थी। उस व्यक्ति के पीछे कई लोग बजह जानने की कोशिश में लग गये थे। लोहिया अस्पताल के कर्मचारी भी काम छोड़ छोड़ कर उस खूंखार से दिख रहे व्यक्ति को देखने लगे। कई जंजीरें उसके बांधकर ताला डाली गयीं थीं। कई घंटे तक वह आकर्षण का केन्द्र बना रहा।

समय तकरीबन 11 बजे लोहिया अस्पताल के मुख्य द्वार पर अचानक एक 45 वर्षीय व्यक्ति को जंजीर में जकड़कर लाया गया। कोई समझ नहीं पा रहा था कि आखिर मामला है क्या। आवास विकास तिराहे से लोहिया अस्पताल तक जंजीर में चकड़े पैदल ही चले आ रहे उस व्यक्ति के साथ अन्य कई लोग भी थे। यह मंजर देखकर काफी लोग उसके पीछे पीछे चलने लगे। कोई उसे खूंखार अपराधी बता रहा था तो कोई आतंकवादी। जितने मुहं, उतनी बातें। जंजीर में बंधे हुए पकड़े लोग जो सादे कपड़ों में थे। जिनको लेकर लोगों में बहस हो गयी। कोई कह रहा कि अगर यह आतंकवादी है तो फिर पुलिस वाले क्यों नहीं इसके साथ में हैं। तब तक दूसरा बोला पुलिस वाले ही है, लेकिन सादे कपड़ों में। खैर वह व्यक्ति लोहिया अस्पताल के होम्योपैथिक विभाग के पास आकर रुक गया। काफी देर चुप चाप बैठे रहने के बाद जब कुछ लोगों से रहा नहीं गया तो उन्होंने उसके साथ आये एक व्यक्ति से पूछ ही दिया कि उसके पैर में जंजीर और ताले क्यों पड़े हैं। क्या यह आतंकवादी हैं और तुम क्या कोई पुलिस के आदमी हो। लेकिन उस व्यक्ति ने कोई जबाव नहीं दिया। तभी पीछे से दूसरा बोला देखा खुफिया पुलिस वाले हैं। ये कुछ बताते नहीं। तभी फिर से एक व्यक्ति ने पूछ दिया अरे भाई बताते क्यों नहीं मामला क्या है। आखिर उस व्यक्ति के साथ आये लोगों में से एक

अनायास ही बोल पड़ा यह कोई आतंकवादी वातंकवादी नहीं है। कई महीनों से यह अजीब अजीब हरकतें कर रहा था। उस व्यक्ति ने बताया कि यह मेरा भाई है। जिसका नाम राधेश्याम राठौर पुत्र मानसिंह निवासी सिठौली है। जिसका विवाह 6 साल पहले बहोरा थाना मेरापुर निवासी सुनीता के साथ हुआ था। शादी के एक साल बाद से ही राधेश्याम को गांव के ही कुछ लोगों ने मारपीट कर दी थी। जिससे उसकी मानसिक स्थिति इतनी बिगड़ गयी। तब से उस पर काबू नहीं पाया जा सका। कई जगह इलाज भी करवाया लेकिन नतीजा हाथ नहीं लगा। जिसके चलते राधेश्याम को जंजीरों में बांधकर रखा जाता है और कहीं भी ले जाने पर जंजीर में ही बांधकर ले जाया जा सकता है। लोहिया अस्पताल में वह एक चिकित्सक को दिखाने के लिए लाये थे।