500 रुपये और पांच किलो शक्कर पर बिक जाते हैं पर्यवेक्षणीय अधिकारी

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कमालगंज (फर्रुखाबाद): जनपद में राशन कालाबाजारी को रोकने के लिए जिलाधिकारी मुथुकुमार स्वामी ने राशन वितरण जिला स्तरीय अधिकारियों की देखरेख में वितरित करने के आदेश दिये थे। जिसके लिए प्रत्येक ब्लाक में अलग अलग अधिकारियों को प्रत्येक राशन कोटे का पर्यवेक्षण के लिए लगाया गया था। लेकिन 6 अक्टूबर को कमालगंज क्षेत्र में होने वाले राशन वितरण में पर्यवेक्षक दोपहर तक नहीं पहुंचे। कोटेदारों का आरोप रहा कि पर्यवेक्षक शाम तक किसी समय आयेंगे और 500 रुपये व पांच किलो शक्कर लेकर रजिस्टर पर हस्ताक्षर करके चलते हो लेंगे।

बहु मंजिले इमारत की दीवार की नींव भले ही नीचे से रखी जाती हो लेकिन भ्रष्टाचार की नींव हमेशा ऊपर से नीचे की तरफ चलती है, एसा मेरा नहीं जानकारों का मानना है। यही बजह है कि जनपद में राशन वितरण प्रणाली बिलकुल ध्वस्त होती जा रही है। गरीबों को राशन मिलने की बजाय अमीर व अधिकारियों के पेटों में समाता जा रहा है। राशन वितरण में उच्चाधिकारियों के स्तर से ही रिसाव शुरू हो जाता है और कोटेदार तक पहुंचते पहुंचते ही आधा तिहाई हो जाता है। ऐसा कोटेदारों ने खुलासा उस समय किया जब जेएनआई टीम ने कमालगंज क्षेत्र के दर्जन भर ग्रामों का दौरा किया। जिनमें कोटेदारों का आरोप रहा कि राशन वितरण जिन पर्यवेक्षकों के अंडर में किया जाना था वह तो आये ही नहीं और उन्हें यह मालूम भी नहीं कि किस अधिकारी की ड्यूटी पर्यवेक्षण में लगायी गयी है। जबकि उनके रजिस्टरों में पूरा का पूरा राशन वितरित हो चुका। ऐसा जनपद के एक ब्लाक का नहीं लगभग सभी ब्लाकों का ही हाल है। कोटेदारों ने बताया कि पर्यवेक्षण अधिकारी मात्र 500 रुपये और पांच किलो शक्कर लेकर रजिस्टर पर हस्ताक्षर करके शाम तक किसी समय आयेंगे और पांच मिनट में चले जायेंगे।

जेएनआई रिपोर्टर ने इसकी हकीकत जानने के लिए कमालगंज क्षेत्र के गौसपुर के कोटेदार कदीर खां के पास पहुंचे तो पता चला कि कदीर खां के पास गौसपुर व नगला दाउद की दो दुकानें हैं। फिर भी दुकान पर सन्नाटा छाया हुआ है। इसके बाद ग्राम जीरागौर में गये तो वहां पता चला कि प्रधान सगीरुल हसन के पास बिचपुरी व जीरागौर की दो दुकानें हैं। वितरण हो रहा था लेकिन पर्यवेक्षक अधिकारी वहां पर नहीं पहुंचे।
ग्राम पंचायत करीमगंज के मजरा देवधरापुर में कोटेदार बेचेलाल ने बताया कि पर्यवेक्षक अभी तक नहीं आये। लौआ नगला मानपट्टी में कोटेदार नीरजादेवी वितरण कर रहीं थी। लेकिन कोई भी पर्यवेक्षक नहीं पहुंचा। इसके बाद रुनी चुरसई में देखा तो कोटेदार भगवानदास दुकान खोले बैठे थे लेकिन कोई राशन वितरण नहीं हो रहा था। कुंदन गनेशपुर के मजरा कंतला के कोटेदार राजेश वर्मा दुकान खोले थे लेकिन कोई भी अधिकारी ढाई बजे तक नहीं पहुंचा। ग्राम सभा सितौली में राजेश प्रताप कोटेदार ने बताया कि 12 बजे दुकान खोली थी। लेकिन गमी के कारण बंद कर दी। लेकिन अधिकारी कोई भी नहीं आया। ग्राम सभा नसरतपुर में कोटेदार साबिर खां अपनी दुकान खोले बैठे थे। जहां भी पर्यवेक्षण अधिकारी ढाई बजे तक नहीं पहुंचे।

मजे की बात है कि दौरा की गयीं सभी दुकानों पर बीपीएल सूची व अंत्योदय कार्डधारकों के नाम प्रिंट नहीं कराये गये। इससे यह जाहिर होता है कि उच्चाधिकारियों के आदेश को पर्यवेक्षकों व कोटेदारों ने भ्रष्टाचार व मिलीभगत के चलते ठेंगे से मार दिया।